इस वजह से नहीं किया जाता भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग

इस वजह से नहीं किया जाता भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग
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दुनिया में ना जाने कितने ही लोग हैं जो शिव भक्त हैं. ऐसे में शिव जी को शिव शंभू, महादेव, भोलेनाथ, अर्धनारीश्वर और भी ना जाने कितने नामों से पुकारा जाता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि शिव भगवान की पूजा में शंख का इस्तेमाल क्यों नहीं करना चाहिए. दरअसल कहा जाता है पूजा में शंख का विशेष महत्व होता है, लेकिन भोलेनाथ की पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से बहुत बड़ा सर्वनाश होता है. इसके पीछे की कहानी का शिवपुराण में वर्णन किया गया है आइए जानते हैं शिवपुराण में क्या बताया गया है.

शिवपुराण के अनुसार - किसी जमाने में शंखचूड नाम का एक पराक्रमी दैत्य हुआ करता था, वह दैत्यराज दंभ का पुत्र था. दैत्यरंज दंभ ने कई सालों तक भगवान विष्णु की कठिन तपस्या की जिसके बाद खुश होकर उसको भगवान विष्णु ने दर्शन दिए और वर मांगने को कहा, जिस पर उसने विष्णु भगवान से तीनों लोकों में अजेय और महापराक्रमी पुत्र का वर मांगा. इतना ही नहीं दैत्यराज दंभ ने पुत्र ने ब्रह्मा जी की घोर तपस्या की और उनसे अजेय होने का वरदान भी हासिल किया.इन दोनों वरदानों के बाद शंखचूड अत्यंत पराक्रमी हो गया और उसने अपने पराक्रम के बल पर तीनों लोकों पर अपना स्वामित्व स्थापित कर लिया. उसके अत्याचारों से तीनों लोक बुरी तरह से प्रभावित थे तीनों लोकों में हाहाकार मचा हुआ था, सिर्फ इंसान ही नहीं बल्कि देवता भी उसके अत्याचारों से काफी परेशान हो गए थे.

शंखचूड के बढ़ते अत्याचारों से निजात पाने के लिए सभी लोग भगवान शिव के पास गए, लेकिन शिव जी उसका वध कर पाने में असमर्थ रहें क्योंकि उसे श्रीकृष्ण कवच और तुलसी की पतिव्रत धर्म की प्राप्ति थी, इन दोनों के होते हुए शंखचूड का वध करना असंभव था.यह सब देखते हुए भगवान विष्णु ने एक उपाय निकाला और वह एक ब्राह्मण के भेष में शंखचूड के पास पहुंचे और उससे श्रीकृष्ण कवच दान में ले लिया. साथ ही शंखचूड़ का रूप धरकर तुलसी के शील का हरण भी कर लिया. जिसके बाद शंखचूड की सारी ताकतों को नाश हो गया और इसी बीच शिव जी ने शंखचूड़ को अपनी त्रिशूल से भस्म कर दिया. उसके बाद से ही ऐसा कहते है कि शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख का जन्म हुआ था और इस कारण से शिव जी की पूजा में शंख का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

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