नई दिल्ली: आज शनिवार (13 जुलाई) को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने गैर-मुस्लिम बच्चों को इस्लामिक मदरसों में दाखिला न देने का आग्रह किया है। उन्होंने अपने आधिकारिक हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा है कि, ''मदरसा ,इस्लामिक मज़हबी शिक्षा सिखाने का केंद्र होता है और शिक्षा अधिकार क़ानून के दायरे के बाहर होता है। ऐसे में मदरसों में ग़ैर मुस्लिम बच्चों को रखना न केवल उनके संवैधानिक मूल अधिकार का हनन है, बल्कि समाज में धार्मिक वैमनस्य फैलने का कारण भी बन सकता है।''
आगे कानूनगो ने तमाम राज्य सरकारों से अपील करते हुए कहा है कि, ''इसलिए NCPCR ने देश की सभी राज्य सरकारों से आग्रह किया था कि संविधान के अनुरूप मदरसों के हिंदू बच्चों को बुनियादी शिक्षा का अधिकार मिले इसलिए उन्हें स्कूल में भर्ती करें और मुस्लिम बच्चों को भी धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ शिक्षा का अधिकार देने के लिए प्रबंध करें। तत्संबंध में उत्तरप्रदेश की राज्य सरकार के मुख्यसचिव महोदय ने आयोग की अनुशंसा के अनुरूप आदेश जारी किया था।''
मदरसा ,इस्लामिक मज़हबी शिक्षा सिखाने का केंद्र होता है और शिक्षा अधिकार क़ानून के दायरे के बाहर होता है।
— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) July 13, 2024
ऐसे में मदरसों में हिंदू व अन्य ग़ैर मुस्लिम बच्चों को रखना न केवल उनके संवैधानिक मूल अधिकार का हनन है बल्कि समाज में धार्मिक वैमनस्य फैलने का कारण भी बन सकता है।
इसलिए… pic.twitter.com/YbY0fTMjuL
बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने आगे कहा कि, ''समाचार पत्रों के माध्यम से पता चला है कि जमीयत ए उलेमा ए हिन्द नामक इस्लामिक संगठन इस आदेश बारे में झूठी अफ़वाह फैला कर लोगों को गुमराह कर सरकार की ख़िलाफ़त में जन सामान्य की भावनाएँ भड़काने का काम कर रहा है। ये मौलवियों का एक संगठन है जो कि मदरसा दारुल उलूम देवबंद की एक शाखा ही है, जिसके द्वारा गजवा ए हिन्द का समर्थन करने पर आयोग ने कार्रवाई की है।''
उन्होंने आगे लिखा कि, ''उल्लेखनीय है कि गत वर्ष उत्तरप्रदेश के देवबंद से सटे हुए एक गाँव में चल रहे एक मदरसे में एक गुमशुदा हिंदू बच्चे की पहचान बदलने और ख़तना कर धर्मांतरण करने की घटना से सांप्रदायिक सामंजस्य बिगड़ा था। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भी ये कार्यवाही ज़रूरी है। उत्तरप्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम भी लागू है, किसी को भी बच्चों की धार्मिक स्वतंत्रता उल्लंघन नहीं करना चाहिए। मेरी जनसामान्य से यह हाथ जोड़कर विनती है कि ये मामला बच्चों के अधिकार का है, किसी भी कट्टरपंथी कठमुल्ले के बहकावे में न आयें और बच्चों के एक बेहतर भविष्य का निर्माण करने में सहभागी बनें। अफ़वाह फैलाने वालों पर कार्रवाई हेतु सरकार से पृथक निवेदन किया जा रहा है।'' इसी के साथ कानूनगो ने एक पेपर कटिंग भी शेयर की है, जिसमे बताया गया है कि, किस तरह चंडीगढ़ के एक हिन्दू बच्चे को किडनैप कर लिया गया था और फिर उसे सहारनपुर के मदरसे में लाकर मुस्लिम बना दिया गया था। यहाँ तक कि उसका खतना भी कर दिया गया था। इस घटना को भाजपा ने पुरजोर तरीके से उठाया था, जबकि अधिकतर विपक्षी दल मौन रहे थे। इसके बाद से मदरसों की जांच को लेकर लगातार मांग उठ रही है।
बता दें कि, इसी साल मई में सहारनपुर में रेलवे स्टेशन के पास मौलवी के साथ जा रहे 54 बच्चों को हिंदू संगठनों के लोगों ने रोका था। पुलिस जांच में अधिकतर बच्चों के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई थी। वहीं, अप्रैल 2024 में भी सहारनपुर जाते हुए 5 मौलवियों को अरेस्ट किया गया था, जिनके साथ 95 बच्चे थे। ये बच्चे बुरी तरह ठूंस ठूंसकर एक बस में रखे गए थे, जिनकी उम्र 9 से 12 साल थी। पूछताछ करने पर मौलवी बच्चों के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए थे, जिसके बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया गया था। बता दें कि, सहारनपुर में ही देवबंद मदरसा भी मौजूद है, जो इस्लामी शिक्षा का बड़ा केंद्र है। यहाँ से कई बार आतंकी भी पकड़े गए हैं। इसी देवबंद ने फ़रवरी 2024 में बाकायदा फतवा जारी करके गजवा ए हिन्द (भारत के खिलाफ युद्ध, भारत में इस्लामी शासन की स्थापना) को जायज भी ठहराया था।
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