टाइटैनिक के बारे में तो आपने बहुत पढ़ा और सुना ही होगा. हम फिल्म की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि उस असली टाइटैनिक जहाज की बात कर रहे हैं, जिसपर फिल्म बनी हुई है. दुनिया के सबसे बड़े जहाज के तौर पर विख्यात टाइटैनिक को डूबे 108 साल हो चुके हैं. लोगों को पता है कि उसका मलबा कहां है, लेकिन आज तक उस मलबे को समुद्र से निकाला नहीं गया है. क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों किया गया है? नहीं ना, तो चलिए आपको इसके बारे में हम विस्तार से बताते हैं, जिसे जानकर आपको हैरान हो जाएंगी.
बता दें की टाइटैनिक 10 अप्रैल 1912 को अपनी पहली यात्रा पर ब्रिटेन के साउथैम्पटन बंदरगाह से न्यूयॉर्क के लिए निकला था, लेकिन 14 अप्रैल 1912 को उत्तर अटलांटिक महासागर में एक हिमखंड से टकराकर दो टुकड़ों में टूट गया था और इसका मलबा 3.8 किलोमीटर की गहराई में समा गया था. टाइटैनिक हादसे में करीब 1500 लोग मारे गए थे. इसे उस वक्त की सबसे बड़ी समुद्री घटनाओं में से एक माना जाता है. लगभग 70 साल तक इस जहाज का मलबा अनछुआ ही समुद्र के अंदर पड़ा रहा था. पहली बार साल 1985 में टाइटैनिक के मलबे को खोजकर्ता रॉबर्ट बलार्ड और उनकी टीम ने खोजा था.
हालांकि, यह जहाज जहां पर डूबा था, वहां घुप्प अंधेरा है और समुद्र की गहराई में तापमान एक डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. अब इतनी गहराई में किसी इंसान का जाना और फिर सुरक्षित वापस लौटकर आना बहुत ही मुश्किल भरा काम है. ऐसे में जहाज का मलबा लाना तो बहुत दूर की बात है और वैसे भी जहाज इतना बड़ा और भारी था कि लगभग चार किलोमीटर की गहराई में जाकर मलबा निकालकर बाहर लाना लगभग नामुमकिन है. ये भी बताया जाता है कि समुद्र के अंदर अब टाइटैनिक का मलबा ज्यादा वक्त तक टिक भी नहीं पाएगा, क्योंकि वो बड़ी तेजी से गल रहा है. अगर जानकारों की मानें तो आने वाले 20-30 सालों में टाइटैनिक का मलबा पूरी तरह गल जाएगा और समुद्र के पानी में विलीन हो जाएगा. दरअसल, समुद्र में पाए जाने वाले बैक्टीरिया उसके लोहे से बने ढांचे को तेजी से कुतर रहे हैं, जिसके कारण उसमें जंग लग जा रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, जंग पैदा करने वाले ये बैक्टीरिया हर रोज करीब 180 किलो मलबा खा जाते हैं. यही कारण है कि वैज्ञानिक मानते हैं कि अब टाइटैनिक की उम्र ज्यादा नहीं बची है.
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