मुलायम सिंह को क्यों कहा जाता था 'मुल्ला मुलायम' ?

मुलायम सिंह को क्यों कहा जाता था 'मुल्ला मुलायम' ?
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नई दिल्ली:  समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक और संरक्षक रहे मुलायम सिंह यादव का आज 82 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया है। उन्होंने आज सुबह 8:15 बजे अंतिम सांस ली। खबरों के मुताबिक मुलायम सिंह यादव को यूरिन संक्रमण, ब्लड प्रेशर की समस्या और सांस लेने में तकलीफ के चलते कुछ दिन पहले मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। समाजवादी आंदोलन से निकलकर 4 बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने मुलायम सिंह को एक समय 'मुल्ला मुलायम' कहा जाने लगा था। वजह थी, मुस्लिम तुष्टिकरण में उनका आकंठ डूबना। 

ये वो समय था, जब उत्तर प्रदेश आंदोलनों की आग से झुलस रहा था।  मंडल कमीशन और राममंदिर को लेकर आंदोलन सियसत जोरों पर थी। मुलायम सिंह इस वक़्त उत्तर प्रदेश के सीएम थे. उन्होंने चेतावनी दी कि, 'बाबरी को गिराना तो दूर, मस्जिद के आसपास परिंदा भी पर नहीं मार सकता। मुलायम के इस वचन के पालन में सरयू नदी कारसेवकों के खून से लाल हो गई। अयोध्या में कारसेवकों का जमावड़ा लगा था और उग्र कारसेवकों से बाबरी मस्जिद को ‘बचाने’ के लिए 30 अक्टूबर 1990 को मुलायम सिंह यादव के आदेश पर कारसेवकों पर पुलिस ने गोलियां चलाईं, जिसमें 50 से अधिक कारसेवकों की जान चली गई। अयोध्या की पावन धरती कारसेवकों की लाशों से पट गई, लेकिन यह कार्रवाई करके मुलायम सिंह, मानो मुसलमानों के मसीहा बन गए। यहीं से उन्हें सियासत में नया नाम मिला 'मुल्ला मुलायम'।   

इसके बाद यूपी का पूरा मुस्लिम समाज, मुलायम सिंह और समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ जुड़ गया और देश की राजनीति में एक नया चुनावी समीकरण उभरकर आया, मुस्लिम-यादव समीकरण (M+Y)। इस गठजोड़ ने मुलायम को कई बार गद्दी पर बिठाया और मुलायम भी मुस्लिम समाज को इसका इनाम देते रहे। उनके राज में ही, उत्तर प्रदेश में मुख़्तार अंसारी, अतीक अहमद जैसे माफिया पनपे, जिनपर पुलिस भी कार्रवाई करने से कतराती थी, क्योंकि वोट बैंक की लालच में प्रशासन ने एक ख़ास समुदाय को पूरा संरक्षण दे रखा था। मुलायम की इस विरासत को बेटे अखिलेश ने भी उसी विचारधारा के साथ संभाला, और सीएम रहते हुए अखिलेश ने आतंकियों पर दर्ज मुक़दमे वापस लेने तक की पेशकश कर दी, हालाँकि, उस समय इलाहबाद हाई कोर्ट ने अखिलेश को रोक दिया। वरना, लखनऊ, वाराणसी और फैजाबाद की कचहरियों में 23 नवंबर 2007 को हुए सिलसिलेवार विस्फोटों के आरोप में गिरफ्तार किए गए 19 अपराधी, सपा की वोट बैंक की राजनीति का लाभ पाकर जेलों से बाहर आ जाते।  

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