आखिर क्यों भोपाल में तंदूर पर लगा बैन? यहाँ जानिए

आखिर क्यों भोपाल में तंदूर पर लगा बैन? यहाँ जानिए
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भोपाल: ठंड का मौसम आते ही तंदूरी खाने का स्वाद लोगों को बहुत भाता है। खासकर भोपाल जैसे शहर में, जहां स्वाद और जायके की भरमार है, तंदूरी रोटी, तंदूरी चिकन और अन्य तंदूरी व्यंजन सर्दियों में और भी लोकप्रिय हो जाते हैं। किन्तु अब भोपालवासियों का यह पसंदीदा जायका फीका पड़ सकता है। बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते नगर निगम ने तंदूरों में कोयला जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस निर्णय के पश्चात् होटल व्यवसायियों को तंदूरी रोटी और तंदूर से बनने वाले अन्य व्यंजनों के विकल्प तलाशने की जरूरत आ रही है। आइए आपको बताते हैं भोपाल में तंदूर पर बैन क्यों लगाया गया है तथा इसके पीछे के कारण क्या हैं।

भोपाल में ठंड के शुरुआती दिनों में ही न्यूनतम तापमान 8.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच चुका है तथा इसी बीच बढ़ते वायु प्रदूषण ने प्रशासन और नागरिकों की चिंता बढ़ा दी है। शहर की वायु गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें नगर निगम ने तंदूर और अलाव पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है, जिससे तंदूर का धुआं लोगों के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर न डाले।

भोपाल में प्रतिदिन लगभग 3,000 तंदूर जलाए जाते हैं, जिनसे जहरीली गैसों का उत्सर्जन होता है। जानकारों के अनुसार, तंदूर में कोयला जलाने से पारा, सीसा, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, पार्टिकुलेट तथा अन्य जहरीली गैसें उत्पन्न होती हैं, जो सांस से जुड़ी बीमारियाँ बढ़ा सकती हैं। इसीलिए नगर निगम ने तंदूर पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है। इस बारे में आयुक्त नगर निगम ने शहर के सभी जोन अफसरों को दिशा-निर्देश दिए हैं। समझाइश देने के लिए पूरे शहर में घोषणा की जाएगी तथा शादियों में भी तंदूर जलाने की निगरानी की जाएगी।

भोपाल में प्रदूषण की स्थिति भी चिंताजनक है। अक्टूबर में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 178 के स्तर तक पहुँच गया था, जो कि 'मोडरेट' श्रेणी में आता है। खुले में कचरा जलाने से 2.9 प्रतिशत वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, धूल से 62.2 प्रतिशत प्रदूषण फैल रहा है, कंस्ट्रक्शन से 12.1 प्रतिशत और परिवहन से 13.0% प्रदूषण बढ़ने का अनुमान है। राज्य सरकार एवं नगर निगम प्रदूषण की स्थिति को गंभीरता से लेकर सुधार की दिशा में कदम उठा रहे हैं।

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