चेन्नई: तमिलनाडु के विधुनगर जिले में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कार्यालय से पुलिस द्वारा हटाई गई भारत माता की प्रतिमा अब वापस लौटाई जाएगी। मद्रास हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए मूर्ति को भाजपा कार्यालय में वापस रखने का आदेश दिया। अदालत ने इसे किसी की निजी संपत्ति से मूर्ति उठाना एक तरह का “अत्याचार” करार दिया और कहा कि इस तरह का कदम भविष्य में दोहराया नहीं जाना चाहिए।
जस्टिस एन आनंद वेंकटेश ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि राज्य को किसी की निजी संपत्ति में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि यह हर नागरिक का अधिकार है कि वे अपनी निजी संपत्ति में अपनी पसंद की चीजें रख सकें, खासकर जब यह किसी के देशभक्ति के प्रतीक से जुड़ी हो। कोर्ट ने कहा कि एक कल्याणकारी राज्य में, कानून के अनुसार शासित संवैधानिक न्यायालय को इस तरह की मनमानी कार्रवाई कभी भी स्वीकार नहीं करनी चाहिए, और ऐसी कार्रवाई से भारत माता की अस्मिता को भी ठेस पहुंचती है।
अदालत ने कहा कि यह मामला निजी संपत्ति पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जुड़ा एक महत्वपूर्ण मुद्दा भी है। किसी को भी अपने देश के प्रति प्रेम और देशभक्ति के भाव को व्यक्त करने से रोका नहीं जा सकता, जब तक कि इससे राज्य या समाज के हितों को कोई खतरा न हो। इस मूर्ति को बीजेपी ने 2016 में अपने कार्यालय में स्थापित किया था, लेकिन पिछले साल इसे देर रात पुलिस ने हटवा दिया था।
उस समय पुलिस ने कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए मूर्ति हटाने की बात कही थी, हालांकि भाजपा कार्यकर्ताओं ने इसे हटाने से इनकार कर दिया था। बाद में भाजपा जिला अध्यक्ष जी पांडुरंगन ने कोर्ट में याचिका दायर कर मूर्ति वापस लौटाने की मांग की और कार्यालय परिसर में मूर्तियों पर हस्तक्षेप न करने की अपील की। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद यह मूर्ति वापस भाजपा के कार्यालय में रखी जाएगी।
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