कोरोना को रोकने के लिए संपूर्ण भारत में काफी लंबे समय से लॉकडाउन जारी था. लेकिन कुछ शहरों में संक्रमण में कमी होने के कारण छूट दे दी गई है. वही, लॉकडाउन में राहत मिलने के बाद से जिस तरह शराब की दुकानें सजीं और सोशल डिस्टेंसिंग को धता बताते हुए जिस तरह लोगों का हुजूम वहां जुटा वह किसी से छिपा नहीं है. दुकानों पर तो कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन राज्य सरकारों ने इसे खजाना भरने का जरिया जरूर बना लिया. वहीं होटल, रेस्टोरेंट, पब और बार की ओर से भी आग्रह किया जा रहा है कि उन्हें भी अपने यहां रखी शराब की बिक्री की अनुमति दी जाए. दरअसल होटल ही सबसे लंबे काल तक के लिए प्रभावित होने वाले हैं. लॉकडाउन खुलने के बाद भी उनकी स्थिति सामान्य होने में महीनों लग सकते हैं. ऐसे में शराब बिक्री के जरिए जहां वह स्टाॅक खाली करना चाहते हैं, वहीं इससे आने वाली राशि वेतन भुगतान समेत दूसरे कामों में आ सकती है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सामान्य दिनों में हर प्रकार के अल्कोहल की बिक्री से राज्य सरकारों को रोजाना लगभग 700 करोड़ रुपए बतौर टैक्स मिलते हैं. इस प्रकार पिछले 40 दिनों में राज्य सरकारों को 28,000 करोड़ रुपए का नुकसान पहले ही हो चुका है. शराब उत्पादक कंपनियों के मुताबिक अल्कोहल की कुल बिक्री में लगभग 30 फीसद हिस्सेदारी होटल, रेस्टोरेंट, पब व बार की होती है.
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इसके अलावा राज्य सरकारें नुकसान को कम करने के लिए रेस्टोरेंट और बार मालिकों को शराब की रिटेल बिक्री की इजाजत देने पर विचार कर सकती है. होटल व रेस्टोरेंट एसोसिएशन सरकार से इस प्रकार की मांग कर रही हैं. हालांकि होटल, रेस्टोरेंट व बार से अल्कोहल की बिक्री के लिए राज्यों को अपने आबकारी नियमों में बदलाव करना होगा. रेस्टोरेंट, पब और बार को बोतलबंद शराब बेचने का लाइसेंस नहीं दिया जाता है. उन्हें सिर्फ शराब पिलाने का लाइसेंस दिया जाता है.
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