इंदौर: मध्य प्रदेश के इंदौर में एक पारिवारिक अदालत ने एक फैसला सुनाते हुए पत्नी का सिंदूर न लगाना पति के लिए क्रूरता माना है। अदालत ने पत्नी को तत्काल प्रभाव से अपने पति के घर लौटने का निर्देश दिया है। इस मामले में पति ने अपनी पत्नी के खिलाफ याचिका दायर की थी। पति का कहना था कि उसकी पत्नी बिना किसी कारण के पिछले 5 सालों से उससे अलग रह रही थी और सिंदूर भी नहीं लगा रही थी।
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने और रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री को देखने के बाद फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि सिंदूर लगाना एक विवाहित महिला का कर्तव्य है और पत्नी का सिंदूर न लगाना पति के लिए क्रूरता माना जा सकता है। अदालत ने पत्नी को पति के पास वापस लौटने का निर्देश दिया। यह फैसला उन सभी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो विवाह के बंधन में बंधे हैं। यह फैसला महिलाओं को उनके कर्तव्यों के प्रति जागरूक करता है और पति को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी देता है।
हालाँकि, यह फैसला समाज में बहस का विषय बन गया है। कुछ लोगों का मानना है कि यह फैसला महिलाओं की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण है। दूसरी ओर, कुछ लोगों का मानना है कि यह फैसला विवाह को मजबूत करने में मदद करेगा। कोर्ट का कहना है कि, सिंदूर लगाना एक विवाहित हिन्दू महिला का कर्तव्य है। पत्नी का सिंदूर न लगाना पति के लिए क्रूरता माना जा सकता है। पत्नी को बिना किसी कारण के पति से अलग रहने का अधिकार नहीं है। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि, क्या यह फैसला महिलाओं की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण है?
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