नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने बसों में सुरक्षा के लिए तैनात 10,000 बस मार्शलों को स्थायी नौकरी देने का बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री आतिशी की अगुवाई में कैबिनेट की बैठक में इस पर सहमति बनी। अब दिल्ली सरकार उपराज्यपाल वीके सक्सेना से अनुरोध करेगी कि मार्शलों को स्थायी करने के लिए एक नीति बनाई जाए।
शहरी विकास मंत्री सौरभ भारद्वाज के साथ संवाद करते हुए सीएम आतिशी ने बताया कि मार्शलों की नियुक्ति का मसला केंद्र सरकार के अधीन आता है। जब तक नीति नहीं बनती, दिल्ली सरकार इन मार्शलों को अस्थायी रूप से बसों में तैनात करेगी। इस कदम से कई गरीब परिवारों के युवाओं को रोजगार मिलेगा और महिलाओं को बसों में फिर से सुरक्षित महसूस होगा। आतिशी ने कहा कि 2015 में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद से महिलाओं की सुरक्षा पर कई कदम उठाए गए हैं, जैसे बसों में मार्शल नियुक्त करना और शहर में सीसीटीवी कैमरे लगाना। उन्होंने बताया कि डीटीसी बसों में महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार रोकने के लिए मार्शलों को तैनात किया गया है, जो 2015 से दो शिफ्टों में सुरक्षा का काम कर रहे हैं।
आतिशी ने आरोप लगाया कि 2023 में बस मार्शल योजना में रुकावटें पैदा की गईं। अप्रैल 2023 से मार्शलों का वेतन रोका गया और अक्टूबर 2023 में उन्हें नौकरी से हटा दिया गया, जिससे महिलाएं असुरक्षित महसूस करने लगीं। मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में बस मार्शलों की पुनर्बहाली का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ था, और 3 अक्टूबर को आप और भाजपा के विधायक इसे लेकर उपराज्यपाल से मिलने गए थे। हालांकि, 5 नवंबर तक प्रस्ताव पर मंजूरी नहीं मिली थी।
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