क्या लुप्त हो जाएंगे बद्रीनाथ और केदारनाथ? 5000 साल पहले हो गई थी ये भविष्यवाणी

क्या लुप्त हो जाएंगे बद्रीनाथ और केदारनाथ? 5000 साल पहले हो गई थी ये भविष्यवाणी
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बद्रीनाथ: लगभग साढ़े पांच हजार साल पहले लिखे स्कंद पुराण में भगवान वेद व्यास ने एक भविष्यवाणी की थी जिसमें कहा गया था कि धरती पर जब पाप बढ़ेगा तथा लोगों का एक-दूसरे पर भरोसा खत्म हो जाएगा, उस वक़्त उत्तराखंड में स्थित नर और नारायण पर्वत आपस में मिल जाएंगे, जिससे बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम जाने का रास्ता बंद हो जाएगा। स्कंद पुराण के मुताबिक, कलियुग के प्रथम चरण में एक ऐसा समय आएगा, जब बद्रीनाथ जैसा पवित्र तीर्थ विलुप्त हो जाएगा।

स्कंद पुराण में श्लोक "बहुनि सन्ति तीर्थानि दिव्य भूमि रसातले। बद्री सदृश्य तीर्थं न भूतो न भविष्यतिः॥" आता है, जिसमें बद्रीनाथ की महिमा का वर्णन है। कहा गया है कि कलियुग के साढ़े पांच हजार वर्ष पश्चात् यह तीर्थ विलुप्त हो जाएगा। इसके पहले संकेत भी मिलेंगे, जिसमें पहला संकेत जोशीमठ में स्थित भगवान नरसिंह देव के हाथ विग्रह से अलग हो जाना है।

संकेत और वर्तमान स्थिति
पौराणिक मान्यता के मुताबिक, नरसिंह भगवान की उंगलियां पतली होने लगी हैं तथा उनका अगला हिस्सा सूई की नोक जैसा हो गया है। नरसिंह मंदिर के पुजारी संजय डिमरी के अनुसार, अगर यह विग्रह का हाथ अलग होता है तो बद्री भगवान इस स्थान को छोड़कर 22 किमी दूर भविष्य बद्री में पूजे जाएंगे।

उत्तराखंड में आपदाओं का दौर
विगत वर्षों में उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला जारी है। जोशीमठ में जमीन धंसने एवं नरसिंह मंदिर की दीवार में दरारें आने से यह संकेत प्राप्त होता है कि नर और नारायण पर्वत की दूरी कम हो रही है। केदारनाथ में बादल फटने और भारी तबाही के बाद भूवैज्ञानिकों ने भी कहा है कि केदारघाटी में ग्लेशियर का फटना और आपदाओं का आना विनाश के संकेत हैं।

पौराणिक दृष्टिकोण
स्कंद पुराण एवं विष्णु पुराण के मुताबिक, केदारनाथ धाम भगवान शंकर का विश्राम स्थल है एवं बद्रीनाथ धाम आठ वैकुंठों में से एक है। सतयुग में भगवान नारायण यहां प्रत्यक्ष दर्शन देते थे, लेकिन द्वापर युग में भगवान विलीन हो गए और उनकी गद्दी पर एक विग्रह स्थापित हो गया। स्कंद पुराण के अनुसार, कलियुग में एक समय ऐसा भी आएगा, जब इस पवित्र धाम का मार्ग भी विलुप्त हो जाएगा।

भविष्य की संभावना
सबसे बड़ा संकेत जोशीमठ से आ रहा है, जहां भगवान नरसिंह देव की उंगलियां पतली हो रही हैं। श्रद्धालुओं के अनुसार, इनके हाथ कभी भी अलग हो सकते हैं। पौराणिक मान्यता के मुताबिक, ऐसा होते ही नर और नारायण पर्वत एक हो जाएंगे। पहले ही इनके बीच की दूरी कम हो चुकी है।

इस प्रकार, स्कंद पुराण की भविष्यवाणी के मुताबिक, बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम विलुप्त होने के संकेत मिल रहे हैं और यह समय आने वाला है जब यह पवित्र तीर्थ भी विलुप्त हो जाएंगे।

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