नई दिल्ली: खबर है की वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों पर गुर करे तो विश्व के जिन बीस शहरों में बढ़ रहा प्रदूषण बहुत ही खतरनाक स्तर पर है जिसमे की भारत के भी 13 शहर शामिल है. तथा जिसके बाद खबर है की भारत का 2020 तक कम पल्यूशन वाले बीएस-6 फ्यूल तैयार करने का इरादा है. इसके बाद भी कोई ठोस सबूत नही है की इससे द्वारा भारत के शहरों में बढ़ रहे प्रदूषण की समस्या से निजात मिल पावेगी. क्योंकि भारतीय सड़को पर मौजूद ज्यादातर गाड़ियां इस फ्यूल का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी. एक रिपोर्ट के मुताबिक 2014-15 में भारत में 26 लाख कारों, एसयूवी और वैन व 6 लाख बसों और ट्रकों की बढ़ोतरी हुई।
भारतीय सड़कों पर मौजूद गाड़ियों की वास्तविक संख्या के बारे में कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन इंडस्ट्री के अनुमानों के मुताबिक, 2.7 करोड़ कारें, यूटिलिटी वीइकल्स और वैन फिलहाल सड़कों पर चल रहे हैं। तथा तब तक बीएस-6 फ्यूल से फायदा उठाने में सक्षम गाड़ियों की संख्या काफी कम होगी. बता दे की ऑटो कंपनियों ने 2023 से ऐसी फ्यूल वाली गाड़ियों के प्रॉडक्शन पर अपनी तरफ से सहमति दोहराई है.
परन्तु क्या एमिशन वाले फ्यूल के जरिये गाड़ियों का धुंआ कम करना संभव नहीं होगा. कंपनियों की योजना स्टेज-5 को छोड़कर सीधा बीएस-6 लेवल का फ्यूल तैयार करने की है। इसके लिए इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन फ्यूल के बीएस-6 नॉर्म अपग्रेडेशन के लिए 17,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है.