क्या वापस धरती पर आएगा चंद्रयान-3? यहाँ जानिए हर जरुरी सवाल का जवाब

क्या वापस धरती पर आएगा चंद्रयान-3? यहाँ जानिए हर जरुरी सवाल का जवाब
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नई दिल्ली: 23 अगस्त की शाम 6 बजकर 4 मिनट पर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के महत्वाकांक्षी मून मिशन चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की. विक्रम लैंडर (Vikram Lander) के पेट में उपस्थित प्रज्ञान रोवर (Pragyan Rover) ने बाहर निकलकर चांद की सतह पर चहलकदमी भी कर ली. अब 14 दिनों तक, जो एक चंद्र दिवस के बराबर है, प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर प्रयोगों की एक श्रृंखला को अंजाम देगा.

रोवर प्रज्ञान चांद की सतह से जो भी डेटा एकत्रित करेगा उसे वह लैंडर विक्रम को भेजेगा. विक्रम, प्रज्ञान द्वारा एकत्रित डेटा को पृथ्वी पर भेजेगा मतलब ISRO के बेंगलुरु स्थित कमांड एंड कंट्रोल सेंटर तक. किन्तु लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि 14 दिन पश्चात् क्या होगा? क्या चंद्रयान-3 वापस पृथ्वी पर लौटेगा? तो हम लोगों की इस जिज्ञासा को शांत करने का प्रयास कर रहे हैं. चंद्रमा पर 14 दिनों के पश्चात् रात हो जाएगी. अब वहां अगला सूर्योदय 14 दिनों पश्चात् होगा. चूंकि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अत्यधिक ठंड होगी (लगभग-334 डिग्री सेल्सियस), विक्रम और प्रज्ञान सिर्फ धूप में ही काम कर सकते हैं, इसलिए वे 14 दिनों के पश्चात् निष्क्रिय हो जाएंगे. यानी चंद्रयान-3 के पास डेटा एकत्रित करने के लिए केवल 14 दिन का वक़्त होगा. हम आपको यहां बता दें कि चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है. किन्तु इसरो वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर फिर से सूरज उगने पर विक्रम एवं प्रज्ञान के जीवन में वापस आने की संभावना से मना नहीं किया है. ऐसे में यह भारत के चंद्र मिशन के लिए बोनस होगा.

विक्रम एवं प्रज्ञान को धरती पर वापस नहीं आना है. वे चंद्रमा पर रहेंगे. ISRO पहले ही चंद्रयान 3 की लैंडिंग साइट की फोटो शेयर कर चुका है. यह तस्वीर बुधवार शाम 6.04 बजे हुई सटीक सॉफ्ट लैंडिंग के पश्चात विक्रम के कैमरे से ली गई थी. चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपेक्षाकृत समतल क्षेत्र पर उतरा है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रयान-3 का कुल वजन 3,900 किलोग्राम है. प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलोग्राम है तथा लैंडर मॉड्यूल विक्रम का वजन 1,752 किलोग्राम है जिसमें 26 किलोग्राम का रोवर प्रज्ञान भी सम्मिलित है. प्रज्ञान चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना की जांच करेगा, चंद्रमा की मिट्टी एवं चट्टानों की जांच करेगा. यह ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्रमा की सतह के आयनों एवं इलेक्ट्रॉनों के घनत्व एवं थर्मल गुणों को मापेगा. यह अपनी प्रकार का पहला मामला होगा, क्योंकि किसी भी अन्य देश ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर जाने का साहस नहीं किया है. रूस का लूना-25 मिशन भी चांद के ​दक्षिणी ध्रुव पर लैंड होना था, मगर वह गत 21 अगस्त को क्रैश हो गया था. भारत का ISRO अपने दूसरे प्रयास में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान का सॉफ्ट लैंडिंग कराने में कामयाब रहा है. इससे पहले 2019 में चंद्रयान-2 मिशन की क्रैश लैंडिंग हुई थी.

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