नई दिल्ली: भारत सरकार अब गिग वर्कर्स को भी सोशल सिक्योरिटी स्कीम के तहत लाने की तैयारी में है. सरकार ओला-उबर जैसी टैक्सी ग्रीगेटर कंपनियों और जोमाटो जैसी फूड सर्विस कंपनियों में नौकरी करने वाले कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के लिए पेंशन और मेडिकल सुविधा की व्यवस्था शुरू कर सकती है. इससे जोमाटो, स्विगी के डिलीवरी स्टार्टअप और अमेजन, फ्लिपकार्ट ई-कॉमर्स में जॉब करने वाले लाखों अस्थायी कर्मचारियों को लाभ मिलने की संभावना है.
बता दें कि स्टार्ट-अप या दूसरी कंपनियों के साथ अस्थायी तौर पर जॉब करने वाले वर्कर्स को गिग वर्कर कहते हैं. देश में कोरोना महामारी के संक्रमण से अर्थव्यवस्था को लगे झटके के कारण बड़ी तादाद में गिग वर्कर्स का रोजगार छिना है. सरकारी सूत्रों के अनुसार संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए EPFO के तहत EPF, EPS, ESI और आयुष्मान जैसे मेडिकल सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. लिहाजा गिग वर्कर्स के लिए अलग से कोई स्कीम लाने की आवश्यकता नहीं हैं. उन्हें इन स्कीम के तहत ये सुविधाएं प्रदान की जाती हैं. आवश्यकता पड़ी तो गिग वर्कर्स के लिए विशेष फंड का निर्माण भी किया जा सकता है. यह डेडिकेटेड गिग वर्कर फंड मौजूदा सोशल सिक्योरिटी स्कीम के अंतर्गत बनाया जा सकता है.
श्रम मंत्रालय की संसदीय कमेटी ने ऐसे कर्मचारियों के लिए बेरोजगारी भत्ते की भी सिफारिश की है. उसका कहना है कि असंगठित क्षेत्र के तमाम कर्मचारियों को यह भत्ता दिया जाना चाहिए. अस्थायी कर्मचारियों को सोशल सिक्योरिटी स्कीम तहत सुविधाएं देने वाला विधेयक संसद में पेश किया जाना है. इसमें गिग वर्कर्स के लिए भी सोशल सिक्योरिटी स्कीम की मांग की गई है.
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