'LoC से PoK तक मार्च निकालेंगे..', पाकिस्तानी सेना ने तोड़ा 2400 वर्ष प्राचीन माँ शारदा मंदिर, भड़के कश्मीरी पंडित

'LoC से PoK तक मार्च निकालेंगे..', पाकिस्तानी सेना ने तोड़ा 2400 वर्ष प्राचीन माँ शारदा मंदिर, भड़के कश्मीरी पंडित
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श्रीनगर: एक चौंकाने वाली घटना में, पाकिस्तानी सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में कश्मीरी पंडित समुदाय के पवित्र मंदिर, शारदा पीठ की दीवार को ध्वस्त कर दिया है। यह तोड़फोड़ एक कॉफी हाउस के लिए रास्ता बनाने के लिए की गई थी। पाकिस्तान की 32वीं ब्रिगेड के ब्रिगेडियर तनवीर अहमद ने कॉफी हाउस की आधारशिला रखी, जिस पर कश्मीरी पंडित समुदाय ने भारी नाराजगी जताई है।

इस बीच, PoK में नागरिक समाज ने इस घटना की निंदा की है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थानीय अधिकारियों को मंदिर में अतिक्रमण की अनुमति न देने के आदेश के बावजूद यह विध्वंस किया गया था। बताया जा रहा है कि कॉफी हाउस का उद्घाटन इसी साल नवंबर में होने की संभावना है। 'सेव शारदा कमेटी' के संस्थापक रवींद्र पंडिता ने इस घटना को लेकर कहा है कि, ''पाकिस्तानी सेना ने PoK सुप्रीम कोर्ट के 2018 के मंदिर परिसर पर अतिक्रमण न करने के फैसले के बावजूद शारदा पीठ की मंदिर सीमा को ध्वस्त कर दिया है। यह कृत्य बेहद अपमानजनक है और हमें LoC से PoK तक मार्च शुरू करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।''

बता दें कि, शारदा पीठ देवी सरस्वती का एक अति प्राचीन मंदिर है, जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में किशनगंगा नदी (नीलम नदी) के तट पर स्थित है। मंदिर के खंडहर, नियंत्रण रेखा (LoC) पर भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित हैं। मंदिर स्थल के आसपास का क्षेत्र सुंदर और सुरम्य है। शारदा पीठ मुजफ्फराबाद से लगभग 140 किमी और जम्मू-कश्मीर में कुपवाड़ा जिले से लगभग 30 किमी दूर है। शारदा पीठ को कश्मीरी पंडितों की आस्था का प्रतीक माना जाता है। हालाँकि, सदियों पुराना मंदिर PoK में पाकिस्तानी अधिकारियों की उपेक्षा और कट्टरपंथी हमलों के कारण खंडहर में बदल गया था। बताया जाता है कि यह मंदिर करीब 2,400 साल पुराना है। इसे प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। कश्मीर पंडित लंबे समय से इस स्थल के नवीनीकरण की मांग कर रहे हैं।

इस साल मार्च में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा में शारदा देवी मंदिर का उद्घाटन किया था।  सरकार कुपवाड़ा में शारदा के मंदिर के पुनर्निर्माण को शारदा-सभ्यता की खोज और शारदा-लिपि के प्रचार-प्रसार की दिशा में एक आवश्यक और महत्वपूर्ण कदम मानती है। करतारपुर कॉरिडोर की तरह ही शारदा पीठ भी भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और शैक्षणिक विरासत का ऐतिहासिक केंद्र रहा है।

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