लखनऊ: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बिहार की राजधानी पटना में होने वाली विपक्षी एकता की बैठक से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है। अखिलेश यादव ने मीडिया से बात करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती से गठबंधन पर सवाल का जवाब देते हुए कहा कि अभी तक सपा ने जितने भी गठबंधन किए हैं, सभी बड़ी ईमानदारी से निभाए भी हैं।
उन्होंने कहा कि, हमें उम्मीद है कि भाजपा को मात देने के लिए सभी दल बड़े दिल से सपा के साथ आएंगे। उन्होंने संकेत देते हुए कहा कि 2019 में भाजपा को कोई हरा पाया था, सिर्फ सपा-बसपा ने हराया था। हमारा मानना है कि उत्तर प्रदेश से भाजपा हार जाएगी, उसी दिन वह सियासत से बाहर हो जाएगी। अखिलेश यादव ने कहा कि 23 जून को होने वाली बैठक में काफी कुछ तय होगा। नए सुझाव भी निकलकर सामने आएंगे।
इसके साथ ही सपा प्रमुख ने कहा कि 2017 में कांग्रेस से और 2019 में बसपा के साथ हमने गठबंधन किया। हमारे वोट फीसद बढ़ा, लेकिन भाजपा को हरा नहीं पाए। उन्होंने कहा कि भाजपा को पराजित करने के लिए सभी दल बड़ा दिल लेकर सपा के साथ आएं। जैसा कि सपा ने पहले के गठबंधनों में बड़ा दिल दिखाया है। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने ईमानदारी से गठबंधन के लिए वोट डलवाए। हालाँकि, सवाल ये भी है कि, क्या गेस्ट हाउस कांड को भूलकर मायावती एक बार फिर सपा से गठबंधन करेंगी।
क्या है गेस्ट हाउस कांड :-
बता दें कि वर्ष 1993 में सपा-बसपा ने गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़ा था। इसके बाद राज्य में इनकी सरकार बनी। इसके दो साल बाद ही दोनों पार्टियों के बीच टकराव होने लगा। इसके बाद 2 जून 1995 को बसपा सुप्रीमो मायावती ने गठबंधन तोड़ने को लेकर स्टेट गेस्ट हाउस में पार्टी के नेताओं ने एक मीटिंग बुलाई। इसी दौरान सपा नेताओं ने गेस्ट हाउस पर हमला कर दिया। आरोप लगा कि सपा के नेताओं ने मायावती के साथ बदसलूकी भी की थी।
मायावती की जिंदगी पर आधारित किताब 'बहनजी' में लेखक अजय बोस लिखते हैं कि सपा समर्थित गुंडों ने कमरे में बंद करके मायावती को मारा पीटा था और उनके कपड़े तक फाड़ डाले थे। उस कमरे के बाहर कई सपा समर्थक इकठ्ठा थे, तभी भाजपा के दबंग ब्राह्मण विधायक ब्रह्मदत्त द्विवेदी वहां जा पहुंचे। अजय बोस ने लिखा कि उस समय द्विवेदी ने अपनी जान पर खेलकर दलित मायावती की इज्जत और जिंदगी बचाई थी। द्विवेदी ने तब सपा समर्थकों को गेस्टाहाउस के कमरे नंबर एक से धक्का देकर बाहर निकाला था और बहुत मुश्किल से दरवाजा बंद किया था। इस कांड को यूपी की राजनीति में गेस्टाहाउस कांड कहा जाता है। इस घटना के बाद मायावती, भाजपा विधायक को अपना भाई मानने लगी थी। 10 फरवरी 1997 को जब बसंत पंचमी के दिन ब्रम्हदत्त द्विवेदी की हत्या कर दी गई थी, तब मायावती फूट-फूटकर रोईं थी। ब्रम्हदत्त द्विवेदी की हत्या मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता विजय सिंह को दोषी करार दिया गया।