'बाकी कोई भी चर्चा नहीं करेंगे', राधारानी मामले में बोलने से बचे कथावाचक
'बाकी कोई भी चर्चा नहीं करेंगे', राधारानी मामले में बोलने से बचे कथावाचक
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सीहोर: राधारानी को लेकर की गई टिप्पणी मामले में बढ़ते विवाद को लेकर कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया है. सीहोर के कुबेरेश्वर धाम में एक प्रेस वार्ता के आयोजन के चलते कथावाचक इस विवाद में कुछ भी बोलने से बचते दिखाई दिए. उन्होंने पत्रकार वार्ता आरम्भ होने के पहले साफ़ कर दिया कि कोई भी चर्चा हम यहां पर नहीं करेंगे. कुछ भी बोलने से पहले ही इंकार कर दिया. प्रदीप मिश्रा ने केवल कुबेरेश्वर धाम में गुरु पूर्णिमा महोत्सव एवं कावड़ यात्रा को लेकर ही खबर दी. 

पंडित प्रदीप मिश्रा ने आगे बताया कि गुरु पूर्णिमा के पावन मौके पर प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी कुबेरेश्वरधाम पर सात दिवसीय शिव महापुराण का आयोजन किया जाएगा. कथा 14 जुलाई से 20 जुलाई तक जारी रहेगी तथा इसके पश्चात 21 जुलाई को यहां पर आने वाले भक्तों को दीक्षा देने का आयोजन किया जाएगा. इसके अतिरिक्त 17 अगस्त को कांवड़ यात्रा के बारे में बताया गया. वहीं, 17 अगस्त को निकलने वाली कांवड़ यात्रा के बारे में पंडित प्रदीप मिश्रा ने बताया. भव्य यात्रा में आधा दर्जन से ज्यादा गांव के लोगों के अतिरिक्त हजारों के आंकड़े में श्रद्धालुओं के सौ से ज्यादा ढोल-बाजे, भगवान शंकर के डमरू तथा डीजे आदि के साथ पूरे शहरी और ग्रामीण क्षेत्र को भगवा रंग से सराबोर कर दिया जाएगा. पता हो कि पंडित प्रदीप मिश्रा की एक टिप्पणी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. यूपी के मथुरा में ब्रज के संतों, महंतों एवं धर्माचार्यों ने महापंचायत आयोजित कर कथावाचक के बयान का विरोध किया है. 

बरसाना में हुई महापंचायत में निर्णय किया है कि यदि कथावाचक प्रदीप मिश्रा अपनी टिप्पणी को लेकर माफी नहीं मांगते हैं तो उनका प्रत्येक स्तर पर विरोध किया जाएगा. उनके कथा के कार्यक्रमों हों, वहां उनके विरोध के साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं सोशल मीडिया पर भी उनका विरोध किया जाएगा. महापंचायत की अध्यक्षता करने वाले संत रमेश बाबा ने कहा, ''प्रदीप मिश्रा ने कहा है कि राधारानी प्रभु श्रीकृष्ण की धर्मपत्नी नहीं थीं. उनका विवाह छाता निवासी अनय घोष संग  हुआ था. बरसाना राधारानी का गांव नहीं है. दरअसल, उनके पिता बृषभानु वर्ष में एक बार बरसाना में कचहरी लगाने आते थे, इसलिए बरसाना नाम पड़ा.''  इस टिप्पणी को लेकर ही प्रदीप मिश्रा के विरुद्ध ब्रज में उबाल है. इससे पहले प्रेमानंद महाराज ने भी प्रदीप मिश्रा का विरोध किया था.  

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