चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज कहा कि किसी भी कीमत पर किसी अन्य राज्य के साथ अतिरिक्त पानी की एक बूंद भी साझा नहीं की जाएगी। उन्होंने आगे बताया कि राज्य कैबिनेट ने एडवोकेट जनरल (AG) पद के लिए गुरमिंदर सिंह के नाम को मंजूरी दे दी है। भगवंत मान ने यह बात चंडीगढ़ में अपने आवास पर कैबिनेट की आपात बैठक की अध्यक्षता करने के बाद कही. हालांकि बैठक का कोई आधिकारिक एजेंडा जारी नहीं किया गया, लेकिन मंत्रिपरिषद ने सतलज-यमुना-लिंक (SYL) नहर मुद्दे पर चर्चा की।
सीएम भगवंत मान ने कहा कि कैबिनेट बैठक में एजी पद के लिए गुरमिंदर सिंह के नाम को मंजूरी दी गई। उन्होंने ट्वीट किया कि, 'इसके अलावा, बैठक में SYL मुद्दे पर भी चर्चा हुई, किसी भी कीमत पर किसी अन्य राज्य के साथ अतिरिक्त पानी की एक बूंद भी साझा नहीं की जाएगी। जल्द ही (राज्य विधानसभा का) मानसून सत्र बुलाने पर भी चर्चा हुई। कई जन-समर्थक निर्णयों को मंजूरी दी गई।' बता दें कि, यह बैठक सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार से पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वेक्षण करने के लिए कहने के एक दिन बाद हुई, जो SYL नहर के एक हिस्से के निर्माण के लिए आवंटित की गई थी।
पंजाब के सभी राजनीतिक दलों ने बुधवार (4 अक्टूबर) को कहा कि राज्य के पास किसी अन्य राज्य के साथ बांटने के लिए अतिरिक्त पानी की एक बूंद भी नहीं है। हालांकि, हरियाणा में राजनीतिक दलों ने शीर्ष अदालत के निर्देशों का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य के लोग वर्षों से SYL के पानी का इंतजार कर रहे हैं। बुधवार को मामले में सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा कि वह पंजाब में जमीन के उस हिस्से का सर्वेक्षण करे, जो SYL नहर के एक हिस्से के निर्माण के लिए आवंटित किया गया था और वहां किए गए निर्माण की सीमा का अनुमान लगाए। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र से नहर के निर्माण को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच बढ़ते विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता प्रक्रिया को सक्रिय रूप से आगे बढ़ाने को भी कहा।
SYL नहर की परिकल्पना रावी और ब्यास नदियों से पानी के प्रभावी आवंटन के लिए की गई थी। इस परियोजना में 214 किलोमीटर लंबी नहर की परिकल्पना की गई थी, जिसमें से 122 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में और शेष 92 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में बनाया जाना था। हरियाणा ने अपने क्षेत्र में परियोजना पूरी कर ली है, लेकिन पंजाब, जिसने 1982 में निर्माण कार्य शुरू किया था, ने बाद में इसे रोक दिया।
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