क्या आज लोकसभा में बजट पर बोलेंगे राहुल गांधी ? कांग्रेस चाहती है बोलें, पर अभी फैसला नहीं ले पाए नेता विपक्ष !

क्या आज लोकसभा में बजट पर बोलेंगे राहुल गांधी ? कांग्रेस चाहती है बोलें, पर अभी फैसला नहीं ले पाए नेता विपक्ष !
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नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी आज दोपहर 2 बजे निचले सदन में केंद्रीय बजट 2024 पर अपना संबोधन देने वाले हैं। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस सांसदों का मानना ​​है कि विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल को सदन में भाषण देना चाहिए। इससे पहले, कांग्रेस के लोकसभा सांसदों के साथ बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि चूंकि वह संसद के विशेष सत्र के दौरान भाषाण दे चुके हैं, इसलिए उनका मानना ​​है कि हर बार उनके बोलने के बजाय, बारी-बारी से दूसरे सांसदों को भी बोलने का मौका दिया जाना चाहिए। राहुल गांधी बोलने से परहेज करना चाह रहे थे, लेकिन कांग्रेस सांसद उन पर जोर दे रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस सांसद इस बात पर जोर दे रहे हैं कि विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल के संबोधन का खासा असर होगा और इसलिए उन्हें बोलना चाहिए। हालाँकि, राहुल अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं ले पाए हैं, लेकिन सांसदों के दबाव के चलते वह आज सुबह फैसला करेंगे। इससे पहले, राहुल गांधी ने मंगलवार (29 जुलाई) को पेश किए गए केंद्रीय बजट को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह "भारत के संघीय ढांचे की गरिमा" पर हमला है। राहुल गांधी ने फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, "यह बजट भारत के संघीय ढांचे की गरिमा पर हमला है - सत्ता बचाने के लालच में देश के अन्य राज्यों की उपेक्षा की गई है, उनके साथ भेदभाव किया गया है।"  कांग्रेस सांसद ने शुक्रवार को संसद परिसर में बजट के खिलाफ इंडिया ब्लॉक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था।

बता दें कि, बजट पेश होने के बाद से ही विपक्षी दल लगातार ये आरोप लगा रहे हैं कि, सरकार ने बिहार- आंध्र को सबकुछ दे दिया और बाकी राज्यों को कुछ नहीं दिया। वहीं, दूसरी तरफ राबड़ी देवी, पप्पू यादव, लालू यादव जैसे विपक्षी नेता ये भी कह रहे हैं कि केंद्र ने बिहार को झुनझुना पकड़ा दिया और उन्हें विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया। हालाँकि, केंद्र ने पहले ही बिहार और आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने से इंकार कर दिया था। सरकार का कहना था कि, विशेष दर्जा दिए जाने के कुछ पैमानों पर खरा उतरना अनिवार्य है, जिसमे दोनों राज्य फिट नहीं बैठते। सरकार ने अपने लिखित जवाब में कहा था कि, "पूर्व में राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) द्वारा कुछ राज्यों को योजना सहायता के लिए विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया था, जिनकी कई विशेषताएं ऐसी थीं, जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता थी। इन विशेषताओं में शामिल हैं (i) पहाड़ी और कठिन भूभाग, (ii) कम जनसंख्या घनत्व और/या आदिवासी आबादी का बड़ा हिस्सा, (iii) पड़ोसी देशों के साथ सीमाओं पर रणनीतिक स्थान, (iv) आर्थिक और अवसंरचनात्मक पिछड़ापन और (v) राज्य के वित्त की गैर-व्यवहार्य प्रकृति।'' लेकिन दोनों राज्य इन पैमानों पर फिट नहीं बैठते, इसलिए उन्हें विकास के लिए मदद दी जाएगी, पर विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता। 

अब विपक्ष के आरोपों पर एक बार बजट का दस्तावेज़ भी देख लेना जरुरी है, जिससे पता चले कि क्या सरकार ने बिहार-आंध्र को ही सबकुछ दिया है, बाकी राज्यों को कुछ नहीं ?  यहाँ तक कि  हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड जैसे राज्य, जहाँ कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उनके लिए भी केंद्र ने कुछ नहीं किया ? क्या ऐसा संभव है ?

बजट में राज्यों को लेकर क्या है घोषणा ?

बजट दस्तावेज के मुताबिक, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को 42,277.77 करोड़ रुपये का बजट दिया है,  जो पिछली बार से 1.2 फीसद अधिक है। साथ ही जम्मू कश्मीर पुलिस के लिए भी 9,789.42 करोड़ रुपये अलग रखे हैं। वहीं, पूर्वोदय राज्यों, यानी झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश को शामिल करके एक योजना चलाने का लक्ष्य है। इसके अलावा बजट में सरकार ने घोषणा की है कि, वो असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई भी करेगी। हर एक राज्य का अलग से विवरण तो बजट सम्बोधन में नहीं है, लेकिन बजट दस्तावेज़ के अनुसार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को कुल 23,48,980 करोड़ रुपये दिए जाएंगे, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 12 फीसदी अधिक है।

ऐसे में ये आरोप तथ्यहीन और राजनीति प्रेरित ही लगता है कि, आंध्र-बिहार को छोड़कर किसी अन्य राज्य को कुछ नहीं दिया गया, या गैर NDA राज्यों की अनदेखी की गई। हालाँकि, विपक्ष इन आरोपों को हवा देने में लगा है, क्योंकि इससे उसे सरकार के खिलाफ माहौल बनाने में मदद मिलेगी। इसी कारण पूरे INDIA गठबंधन ने नीति आयोग की बैठक का भी बहिष्कार किया था। हालाँकि, यदि अन्याय हुआ है, तो राज्यों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प है। जब  दिल्ली की AAP सरकार ये शिकायत लेकर सुप्रीम कोर्ट जा सकती है कि हरियाणा हमारे हिस्से का पानी नहीं दे रहा, तो INDIA गठबंधन भी जा सकता है कि केंद्र हमारे हिस्से के पैसे नहीं दे रहा। लेकिन आरोप को सुप्रीम कोर्ट में साबित करना पड़ेगा, जो कि AAP सरकार भी नहीं कर पाई थी।   बजट दस्तावेज के अनुसार, 2024-25 में भारत सरकार को टैक्स और ड्यूटी से 38.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कमाई हुई है. इसमें से केंद्र 12.47 लाख करोड़ यानी 32% राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को ट्रांसफर करेगी। इस बार सर्वाधिक टैक्स यूपी को ही मिलेगा. राज्य को केंद्र सरकार 2.23 लाख करोड़ रुपये से अधिक की हिस्सेदारी देगी।
    
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने भी लगाए थे आरोप :-

बीते कुछ समय से कर्नाटक की कांग्रेस सरकार भी आरोप लगा रही है कि केंद्र उसे पैसे नहीं दे रहा है। हालाँकि, अपनी चुनावी गारंटियों को पूरा करने में कर्नाटक का ख़ज़ाना खाली हो चुका है । कांग्रेस सरकार के वित्तीय सलाहकार खुद स्वीकार कर चुके हैं कि, चुनावी गारंटियां सरकार पर बोझ बन गईं हैं और अब विकास कार्यों के लिए पैसा नहीं बचा है। इसलिए कर्नाटक सरकार ने केंद्र से स्पेशल पैकेज माँगा है। बता दें कि, इस साल जब कर्नाटक में सूखा पड़ा था, तब भी राज्य सरकार के पास पैसा नहीं था, केंद्र ने उसे 3500 करोड़ राहत के रूप में दिए थे।  जिसके बाद भी राज्य की आर्थिक तंगी बरक़रार रही और कांग्रेस सरकार ने SC/ST फंड में से 14000 करोड़ निकाल लिए। अब सरकार ने एक अमेरिकी फर्म को 9.5 करोड़ में काम पर रखा है ये बताने के लिए कि कमाई कैसे बढ़ाई जाए। जिसके बाद पेट्रोल-डीजल, दूध,बिजली के दाम बढ़ चुके हैं और अब बस का किराया बढ़ाने पर विचार चल रहा है और सरकार आरोप लगा रही है कि केंद्र ने पैसे नहीं दिए। हाल ही में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 साल के आंकड़े देते हुए कर्नाटक सरकार के आरोपों का जवाब दिया था। 

सीतारमण ने पिछली यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान कर्नाटक को आवंटित धन की तुलना मौजूदा एनडीए सरकार के कार्यकाल में दिए गए धन से की। उन्होंने बताया कि 2004 से 2014 के बीच, जब यूपीए सत्ता में थी, कर्नाटक को दस वर्षों में ₹81,791 करोड़ मिले थे। इसके विपरीत, 2014 से 2024 तक, पीएम मोदी के नेतृत्व में, कर्नाटक को ₹2,95,818 करोड़ मिले। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि यूपीए के कार्यकाल में अनुदान सहायता राशि ₹60,779 करोड़ थी, जबकि पीएम मोदी के कार्यकाल में यह राशि ₹2,39,955 करोड़ तक पहुंच गई।

सीतारमण ने कहा था कि, "कर्नाटक की मौजूदा सरकार लोगों से कहती रहती है कि केंद्र सरकार कर्नाटक को उसका हक नहीं देती। यह पूरी तरह से झूठ है... मैं जवाब देने को तैयार हूं, लेकिन यह गलत विज्ञापन है जो कर्नाटक की मौजूदा सरकार करती रहती है, जिसके बारे में मुझे खेद है कि इससे किसी को मदद नहीं मिल रही है, केंद्र सरकार की तो बात ही छोड़िए। यहां तक ​​कि कर्नाटक के लोगों को भी तथ्यात्मक जानकारी नहीं मिल रही है।"  

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