रूस को आर्थिक रूप में हानि पहुंचाने के लिए अमेरिका ने एक बार फिर उस पर कई तरह के रोक लगा दिए है। इतना ही नहीं अपने कार्यकाल के अंतिम सप्ताह में बाइडेन प्रशासन ने रूसी ऑयल प्रोड्यूसर्स गाजप्रोम नेफ्ट और Surgutneftegas के अलावा रूसी तेल का शिपमेंट करने वाले 183 जहाजों पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। वहीं इस तरह अमेरिका ने रूस के रेवेन्यू को चपत लगाने वाले कई तरह के कदम भी उठा लिए गए है। इन प्रतिबंधों के पश्चात इंडियन और चीनी रिफाइनरीज को अपने लिए नये सप्लायर्स खोजने पड़ जाते है। इतना ही नहीं प्रतिबंधित कर दिए गए ज्यादातर टैकरों का इस्तेमाल रूस के दो सबसे बड़े कस्टमर इंडिया और चीन को तेल भेजने में किया जाता है।
2 माह तक नहीं है किसी बात की कोई चिंता: खबरों का कहना है कि इंडियन रिफाइनरीज ने कथित तौर पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित ऑयल टैंकरों और संगठनों के साथ करना पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। देश को 2 माह की विंड डाउन अवधि के बीच रूसी क्रूड ऑयल की सप्लाई में व्यवधान का किसी भी तरह का कोई अनुमान नहीं है। इतना ही नहीं अमेरिका ने कुछ एनर्जी रिलेटेड ट्रांजेक्शंस को 12 मार्च तक पूरी तरह से समाप्त करने के लिए भी बोला है। अब खबरें आ रही है कि इंडिया 10 जनवरी से पहले बुक किये गए रूसी तेल कार्गो को प्रतिबंध मापदंडों के अनुरूप बंदरगाहों पर उतारने की मंजूरी प्रदान कर देगा। वहीं ये भी कहा जा रहा है कि आने वाले 2 माह कोई बड़ी परेशानी का संकेत नहीं है, क्योंकि जिन जहाजों के ऑर्डर हैं, वे आते रहने वाले है। जिसके पश्चात ऑयल मार्केट और डिस्काउंट कैसे आकार ले लेता है, यह देखने वाली बात हो सकती है।
क्या इंडिया को ज्यादा डिस्काउंट ऑफर प्रदान करता है रूस?: रूस वर्ष 2022 में G-7 देशों द्वारा लगा दिए गए है 60 डॉलर प्रति बैरल के प्राइस कैप को देखते हुए इंडिया को ज्यादा डिस्काउंट भी प्रदान कर सकता है, ताकि पश्चिमी टैंकरों और इंश्योरेंस का भी इस्तेमाल किया जा सके। अगर इंडिया को किसी गैर-प्रतिबंधित संस्था से प्राइस कैप के नीचे रूसी कच्चा तेल मिल जाते है, तो यह एक अच्छी बात होने वाली है। इंडिया USA और चीन के पश्चात विश्व का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड ऑयल कंज्यूमर भी है। इंडियन अधिकारियों का इस बारें में कहना है कि रूस उन तक पहुंचने के तरीके की खोज करने वाला है। इतना ही नहीं इंडिया कथित रूप से रूस की वोस्तोक ऑयल प्रोजेक्ट पर नए अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव की कार्रवाई कर रहे है। इस प्रोजेक्ट में इंडियन कंपनियों ने भी भाग लिया है।
क्रूड ऑयल का इंडिया पर किस तरह पड़ेगा प्रतिबंध का असर?: प्रतिबंधों का प्रभाव 2 माह की विंड-डाउन अवधि समाप्त होने के पश्चात ही महसूस किया जा सकता है। इतना ही नहीं लेकिन तब भी तेल की सप्लाई का किसी भी तरह का कोई भी मामला नहीं होने वाला है। क्योंकि पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन ओपेक के पास 3 मिलियन बैरल प्रति दिन की कई क्षमता भी है। जबकि कनाडा, ब्राजील, अमेरिका और गुयाना जैसे गैर ओपेक सप्लायर्स भी आसानी से सप्लाई को आगे बढ़ा पाएंगे। अहम् बात तो ये है कि यह मामला कीमत का हो सकता है। लेकिन कीमतों में इजाफा भी लंबे समय तक नहीं चलेगा। भारतीय रिफाइनरीज मिडिल ईस्ट के सप्लायर्स के साथ 2025/26 के एनुअल कॉन्ट्रैक्ट्स पर सप्लाई डील्स को अंतिम रूप देने के लिए बातचीत की ओर बढ़ रही हैं। वे उनसे अतिरिक्त सप्लाई मांग सकती हैं।
4 माह के उच्च स्तर पर मूल्य: इतना ही नहीं आज यानि 15 जनवरी को भी क्रूड ऑयल के मूल्य में तेजी देखने के लिए मिल चुकी है। क्रूड ऑयल WTI 0.51 प्रतिशत के इजाफे के साथ 76.78 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर सकता है। इतना ही नहीं ब्रेंट ऑयल 0.41 प्रतिशत के बढ़ोतरी के साथ 80.23 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड करता हुआ दिखाई देने वाला है। इस तरह क्रूड ऑयल का मूल्य 4 माह के उच्च स्तर पर पहुंच चुकी है।