नई दिल्ली: समलैंगिक विवाह पर आज यानी 6 जनवरी को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है। प्रधान न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीए एस नरसिम्हा की दो सदस्यीय पीठ इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांग चुकी है। इसका समर्थन करने वाले लोग काफी समय से मांग कर रहे है कि भारत में इसे मान्यता प्रदान की जाए। हाल ही में सदन में इस मामले पर जवाब देते हुए भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा था कि भारतीय समाज समलैंगिक विवाह के लिए तैयार नहीं हैं।
सुशिल मोदी ने कहा था कि इससे पूर्ण विनाश हो जाएगा। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय 2018 में सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर कर चुकी है, लेकिन विवाह की मान्यता अभी नहीं मिली है। बता दें कि, विश्व के 32 देशों में इसे मान्यता मिल चुकी है। शीर्ष अदालत 6 जनवरी को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा, जिनमें समान-लिंग विवाहों को मान्यता देने के लिए उच्च न्यायालयों के सामने लंबित याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की गई है। CJI डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की दो सदस्यीय पीठ इस पर सुनवाई करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष 14 दिसंबर को केंद्र से दो याचिकाओं पर जवाब तलब किया था, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में ट्रांसफर करने की मांग की गई थी, ताकि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के निर्देश दिए जा सके। गत वर्ष 25 नवंबर को भी सुप्रीम कोर्ट ने दो समलैंगिक जोड़ों द्वारा शादी के अपने अधिकार को लागू करने और विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपनी शादी को पंजीकृत करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग वाली अलग-अलग याचिकाओं पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया था।
वंदे भारत पर बंगाल के नहीं, बिहार के लोग कर रहे पथराव - सीएम ममता बनर्जी
दिल्ली में खून जमा देने वाली ठंड, 3 डिग्री से भी नीचे पहुंचा तापमान
'मम्मी-पापा मैं इतना तनाव नहीं झेल पा रही हूँ..', लिखकर छात्रा ने किया सुसाइड