नई दिल्ली: जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच तकरार जारी है। जज का बेटा जज बनेगा, या जज का कोई पसंदीदा ही जज बनेगा वाले सिस्टम पर केंद्र सरकार लगातार सवाल उठा रही है और इस व्यवस्था को सुधारने की अपील कर रही है। जजों की नियुक्ति वाले मौजूदा कोलेजियम सिस्टम (Collegium System) से असंतुष्ट केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू इस संबंध में भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ को पत्र भी लिख चुके हैं। ऐसे में इस बात पर बहस शुरू हो गई है कि, क्या न्यायपालिका में भी राजनीति की तरह परिवारवाद चलता है, जिसके कारण अच्छे जजों को मौके नहीं मिल पाते ? ये सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि, जजों का चयन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का कॉलेजियम ही केंद्र सरकार के पास नाम भेजता है।
न्यायपालिका और रिश्तेदारों की जोड़ी:-
भारत के पहले चीफ जस्टिस सर हरिलाल जेकिसुनदास कनिया (एच जे कनिया) थे। उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 1950 से 6 नवम्बर, 1951 तक चला था। इसके लगभग 40 वर्षों के बाद एच जे कनिया के भतीजे मधुकर हीरालाल कानिया (एम एच कनिया) भी भारत के प्रधान न्यायाधीश बनें। 23वें CJI एम एच कनिया का कार्यकाल 13 दिसम्बर, 1991 से 17 नवम्बर, 1992 तक रहा था। चाचा-भतीजे की एक और जोड़ी 21वें और 45वें चीफ जस्टिस की है। जज रंगनाथ मिश्र देश के 21वें चीफ जस्टिस थे। उनका कार्यकाल 26 सितम्बर, 1990 से 24 नवम्बर, 1991 तक रहा था। इसके 27 वर्ष बाद न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्र के भतीजे जस्टिस दीपक मिश्रा 28 अगस्त, 2017 से 2 अक्टूबर, 2018 तक भारत के 45वें चीफ जस्टिस रहे थे।
बता दें कि, मौजूदा समय में देश के 50वें चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ (डी. वाई. चंद्रचूड़) हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ 9 नवम्बर, 2022 को CJI बने थे। उनका कार्यकाल 10 नवंबर, 2024 को समाप्त हो रहा है। हालांकि, दिलचस्प बात ये है कि डी. वाई. चंद्रचूड़ के पिता न्यायमूर्ति यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ (Y. V. Chandrachud) भी भारत के चीफ जस्टिस थे। वह 16वें CJI थी। उनका कार्यकाल 22 फरवरी, 1978 से 11 जुलाई, 1985 तक रहा था। बता दें कि यह अब तक किसी भी CJI का सबसे लंबा कार्यकाल है।
भारत के 19वें चीफ जस्टिस ईएस वेंकटरमैया का कार्यकाल 19 जून, 1989 से 17 दिसम्बर, 1989 तक रहा था। वेंकटरमैया महज 181 दिन के लिए इस पद पर रहे थे। जिसके बाद न्यायमूर्ति ईएस वेंकटरमैया की पुत्री जस्टिस बीवी नागरत्ना फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में सीनियर जज हैं। न्यायमूर्ति नागरत्ना वर्ष 2027 में एक महीने के लिए देश की प्रधान न्यायाधीश बन सकती है। यदि ऐसा होता है तो वह भारत की प्रथम महिला CJI होंगी।
वहीं, न्यायमूर्ति बीपी सिन्हा और न्यायमूर्ति बीपी सिंह दादा-पोते थे। न्यायमूर्ति बीपी सिन्हा भारत के छठें चीफ जस्टिस थे। वहीं जस्टिस बीपी सिंह शीर्ष अदालत में दिसंबर 2001 से जुलाई 2007 के बीच न्यायमूर्ति के रूप में कार्यरत रहे थे। इसके अलावा जस्टिस केएस हेगड़े शीर्ष अदालत के सीनियर जज रहे। जूनियर जज को CJI बनाए जाने बाद केएस हेगड़े ने 30 अप्रैल, 1973 को अपना इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वह लोकसभा के अध्यक्ष भी रहे। बाद में केएस हेगड़े के बेटे संतोष हेगड़े भी शीर्ष अदालत में जज बनें। संतोष हेगड़े, सुप्रीम कोर्ट में जनवरी 1999 से जून 2005 के बीच जज रहे।
यही नहीं, शीर्ष अदालत के सीनियर जज, न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ के पिता के. के. मैथ्यू भी सर्वोच्च न्यायालय के जज थे। उनका कार्यकाल 1971-76 तक था। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के पिता दिल्ली उच्च न्यायालय के जज थे और उनके चाचा न्यायमूर्ति एच. आर. खन्ना शीर्ष अदालत के जज थे। न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और सुधांशु धूलिया के पिता भी उच्च न्यायालयों के जस्टिस रह चुके हैं।
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