बैंगलोर: कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्ट कर दिया है कि राजधानी बेंगलुरु (Bengaluru) में रह रहे रोहिंग्याओं (Rohingyas) को वापस भेजने की फिलहाल कोई योजना नहीं है. कर्नाटक सरकार ने यह भी बताया कि ऐसे 72 रोहिंग्याओं की शिनाख्त की गई है, जो शहर में रह रहे हैं और काम कर रहे हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में एक साल के अंदर रोहिंग्याओं की शिनाख्त करने, उन्हें हिरासत में लेने और निर्वासित करने को लेकर याचिका दाखिल हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में राज्य सरकार ने कहा है कि, ‘बेंगलुरु सिटी पुलिस ने अपने अधिकार क्षेत्र में रोहिंग्याओं को किसी शिविर या डिटेंशन सेंटर में नहीं रखा है. हालांकि, बेंगलुरु शहर में 72 रोहिंग्याओं की शिनाख्त हुई है, जो विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं और बेंगलुरु सिटी पुलिस ने उनके खिलाफ अभी तक कोई भी कड़ी कार्रवाई नहीं है और उन्हें निर्वासित करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है.’
इसके साथ ही राज्य सरकार ने रोहिंग्या समुदाय के 72 लोगों की लिस्ट भी सुप्रीम कोर्ट को दी है और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करने की मांग की है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इन नामों में कई की उम्र 12 वर्ष से कम है. अगस्त 2017 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संसद को बताया था कि राज्यों को रोहिंग्याओं सहित अवैध प्रवासियों का पता लगाने और उन्हें निर्वासित करने के निर्देश दिए गए हैं. इसके बाद रोहिंग्या समुदाय के दो लोगों ने निर्वासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
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