नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में दहेज़ उत्पीड़न के लिए जारी दिशा निर्देश का मामला एक बार फिर बदलाव की दिशा में चल पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट दहेज उत्पीड़न के मामलों में कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए दिशा निर्देश बनाने के अपने ही आदेश को पलटने की तैयारी कर रहा है. ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने दो सदस्यीय पीठ के फैसले पर पुन: परीक्षण करने को कहा है.
उल्लेखनीय है कि 28 जुलाई को राजेश शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश मामले में दो सदस्यीय पीठ द्वारा जारी दिशा निर्देश पर अमाइकस क्यूरी नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील वी शेखर और इंदू मल्होत्रा ने भी तीन सदस्यीय पीठ की राय से सहमति जताते हुए कहा कि हर मामले को अलग-अलग तरीके से देखा जाना चाहिए. एक समान गाइडलाइंस नहीं होनी चाहिए. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में जनवरी के तीसरे हफ्ते में सुनवाई करेगा.
गौरतलब है कि शीर्ष अदालत के पहले जारी दिशा निर्देशों में दहेज़ उत्पीड़न मामले में बिना जांच-पड़ताल के पति और ससुराल वालों की गिरफ्तारी पर रोक लगाने के साथ ही हर जिले में कम से कम एक परिवार कल्याण समिति का गठन करने का निर्देश दिया था. इसमें 498 ए की हर शिकायत को समिति के पास भेजने और समिति की रिपोर्ट आने तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं करने का उल्लेख था.
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