नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कुख्यात गैंगस्टर अबू सलेम की उम्रकैद की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है. यह याचिका केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला की ओर से दाखिल की गई थी. गृह मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि अबू सलेम की सजा पर पुर्तगाल को आश्वासन देने का सवाल, वर्ष 2030 में ही उठेगा क्योंकि देश की अदालतें ऐसे आश्वासन से बाध्य नहीं है. अबू सलेम को रिहा करने पर विचार करने का वक़्त 2030 में आएगा, उस समय ही सरकार फैसला करेगी कि क्या करना है. सलेम की रिहाई की मांग पर केंद्रीय गृह सचिव ने स्पष्ट कर दिया है कि यह बात वक़्त से पहले और काल्पनिक अनुमानों पर आधारित है.
दरअसल वर्ष, 2002 में तत्कालीन गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने गैंगस्टर सलेम के प्रत्यर्पण के वक़्त पुर्तगाल सरकार से यह वादा किया था कि गैंगस्टर को न तो फांसी दी जाएगी और न ही किसी मामले में 25 साल से अधिक की जेल की सजा होगी. इसी मामले में अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपना हलफनामा दायर किया है. पूर्व की सुनवाई में शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को हलफनामा दाखिल करने के लिए 18 अप्रैल तक का अंतिम अवसर दिया था. दरअसल, कोर्ट ने केंद्रीय गृह सचिव के हलफनामा दाखिल न करने पर अपनी नाराजगी व्यक्ति की थी.
बता दें कि मुंबई सीरियल ब्लास्ट केस के दोषी अबू सलेम की 25 वर्ष की जेल की सजा 10 नवंबर 2030 को ख़त्म होगी. वहीं अबू सलेम ने मुंबई के विशेष टाडा कोर्ट की तरफ से दी गई उम्रकैद की सजा पर सवाल खड़े करते हुए रिहाई की मांग की थी. सलेम ने कहा था कि उसे रिहा करने के लिए 2002 की तारीख को आधार बनाया जाना चाहिए, क्योंकि उस समय ही उसे पुर्तगाल में अरेस्ट किया गया था. इस हिसाब से 25 वर्ष की अवधि साल 2027 में ख़त्म होती है. जिसपर अजय भल्ला ने हलफनामा में कहा है कि सलेम की मांग अनुचित है.
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