महाराष्ट्र चुनाव में ओवैसी से हाथ मिलेंगे उद्धव? संजय राउत ने दिया जवाब

महाराष्ट्र चुनाव में ओवैसी से हाथ मिलेंगे उद्धव? संजय राउत ने दिया जवाब
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (AIMIM) पार्टी के विपक्षी महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन में शामिल होने की अटकलें फिर से चर्चा में हैं। इस सवाल को तब और बल मिला जब शिवसेना (UBT) के नेता संजय राउत से इस बारे में पूछा गया। राउत ने ऐसी संभावनाओं को पूरी तरह खारिज नहीं किया और कहा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव अभी तक उनके पास नहीं आया है, लेकिन अगर ऐसा प्रस्ताव आता है तो महाविकास अघाड़ी इस पर विचार करेगी। राउत ने कहा कि फिलहाल इस बारे में कोई बातचीत नहीं हुई है। और इनका जवाब मीडिया के जरिए नहीं दिया जा सकता। 

यानी, कट्टर हिंदुत्व पर चलने का दावा करने वाली शिवसेना अब, सत्ता के लिए ओवैसी की पार्टी के साथ हाथ मिलाने के लिए भी तैयार है, जो राम मंदिर का पुरजोर विरोध करती है, बाबरी फिर बनाने की बात करती है, औरंगाबाद का नाम शम्भाजी नगर करने का विरोध करती है। दरअसल, ये दोनों दल, विचारधारा में एक दूसरे के बिलकुल विरुद्ध हैं । एकतरफ बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना खड़ी की थी, उस समय बालासाहेब कहते थे कि बाबरी गिराने में उनकी पार्टी का पूरा हाथ है और उन्हें इसका अफ़सोस नहीं। वहीं, ओवैसी कहते हैं कि बाबरी गिराने वाले को वो कभी माफ़ नहीं कर सकते। लेकिन अब महाराष्ट्र की सत्ता के लिए दोनों साथ आ सकते हैं। आखिर उद्धव पहले भी अपने पिता की विचारधारा के खिलाफ जाकर कांग्रेस से तो गठबंधन कर ही चुके हैं, यदि वो ओवैसी से भी हाथ मिला लेते हैं, तो हैरानी नहीं होगी। 

गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के अंत में होने वाले हैं, जिसमें राज्य की सभी 288 सीटों के लिए चुनाव होगा। पिछला चुनाव अक्टूबर 2019 में हुआ था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और शिवसेना के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन को बहुमत मिला था। हालांकि, आंतरिक मतभेदों के कारण शिवसेना ने एनडीए से नाता तोड़ लिया और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के साथ मिलकर महाविकास अघाड़ी (MVA) का गठन किया, जिसमें उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने थे। 2022 में महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के बाद, एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 40 विधायकों के साथ बीजेपी का साथ देते हुए सरकार बनाई, जिसमें वह मुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2023 में एक और राजनीतिक संकट के दौरान अजित पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी का गुट भी सरकार में शामिल हो गया।

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