नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली के महरौली में स्थित कुतुब मीनार (Qutub Minar) परिसर में 27 हिंदू और जैन मंदिरों के जीर्णोद्धार के संबंध में दाखिल की गई एक अपील पर साकेत कोर्ट में आज सुनवाई पूरी हो गई है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने अदालत को बताया कि कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद मंदिर की जगह पर बनाई गई थी। अदालत ने इस मामले को सुनने के बाद अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए फैसला सुनाने के लिए 9 जून की तारीख मुक़र्रर कर दी है।
हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने कहा कि कुतुब मीनार का निर्माण 27 हिन्दू और जैन मंदिरों को तोड़कर किया गया था। यहां आज भी कई हिंदू देवी-देवताओं की प्रतिमाएं मौजूद हैं। इसे देखते हुए हिन्दुओं को कुतुब मीनार परिसर में पूजा करने की अनुमति मिलनी चाहिए। हिंदू पक्ष का यह भी दावा है यहां 1600 वर्ष प्राचीन लोहे का स्तंभ और पूजा की वस्तु आज भी मौजूद हैं। इस स्तंभ पर संस्कृत में लिए गए श्लोक भी मौजूद हैं। हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन और वकील रंजना अग्निहोत्री से यह केस दाखिल किया गया है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ताओं से सवाल किया कि आपको क्या लगता है कि यह एक स्मारक है या पूजा स्थल? कौन सा कानूनी अधिकार आपको किसी स्मारक को पूजा स्थल में बदलने का अधिकार प्रदान करता है? याचिकाकर्ता जैन ने AMASR अधिनियम 1958 की धारा 16 को पढ़ा, इस अधिनियम के तहत केंद्र सरकार द्वारा संरक्षित एक संरक्षित स्मारक जो पूजा स्थल या तीर्थस्थल है, उसका इस्तेमाल उसके चरित्र के साथ असंगत किसी भी मकसद के लिए नहीं किया जाएगा। जिसके बाद साकेत कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर 9 जून को फैसला सुनाया जाएगा।
चलती बस से 'गुटका' थूकने लगा ड्राइवर, बिगड़ा संतुलन और हो गया बड़ा हादसा, 4 की मौत, कई घायल
'वंदे मातरम्' को राष्ट्रगान 'जन गण मन' के समान रूप से सम्मानित किया जाए: दिल्ली हाईकोर्ट