उज्जैन/इंदौर : देशभर में एक ओर जहां शराबबंदी की बात की जा रही है और बिहार सरकार ने अपने राज्य में पूर्णतः शराब पर प्रतिबंध लगा दिया हो और वहां के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छत्तीसगढ़ में आयोजित एक समारोह में शराबखोरी बंद करने को लेकर चर्चा कर चुके हों तो मध्यप्रदेश में शराबबंदी पर चर्चा होना स्वाभाविक है। हालांकि प्रदेश में भी सरकार इस ओर प्रयास कर रही है मगर यहां पर अभी भी मुख्य मार्गों और हाईवेज़ के आसपास मदिरालय देखने को मिलते हैं।
हालांकि राज्य सरकार द्वारा कहा गया है कि हाईवेज़ के आसपास शराब का विक्रय नहीं होगा लेकिन इसके बाद भी बड़े पैमाने पर हाईवेज़ के आसपास शराब की दुकानें मौजूद हैं। इन दुकानों को बाकायदा लाइसेंस दिए गए हैं। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर हाईवे के आसपास शराबबंदी किस तरह से होगी।
हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि वैकल्पिकतौर पर यह जरूर किया जा सकता है कि इन दुकानों को हाईवे से हटाकर गांव में कहीं और शिफ्ट कर दिया जाए जिससे हाईवे के आसपास शराब की दुकानें भी न हों और इन दुकानों के संचालन से बेरोजगारी का संकट भी न उपजे। मगर इससे ग्रामीण क्षेत्र में शराबखोरी बढ़ने का अंदेशा है। अब देखना यह है कि इस मामले में जिम्मेदार क्या कार्रवाई करते हैं।
पवित्र नगरी उज्जैन में पूर्ण शराबबंदी को लेकर निकाली रैली