शाहरुख़ खान ने बाजीगर में डायलॉग कहा था, कभी-कभी कुछ जीतने के लिए कुछ हारना भी पड़ता है और हार कर जीतने वाले को बाजीगर को कहते है. यह सिर्फ एक डायलॉग नहीं बल्कि जिंदगी की सच्चाई भी है. हम सब की जिंदगी में ऐसे पल आते है जब कुछ जीत जाने से बेहतर हमे हार जाना लगता है.
कई बार हारने के बाद हमे बहुत कुछ हासिल हो जाता है. जैसे कभी किसी बच्चे से हार जाना और उसकी मुस्कान जीत जाना. यदि आप किसी छोटे बच्चे के साथ पंजा लड़ाने का खेल खेल रहे है, यदि इसमें ईमानदारी से खेलेंगे तो आपसे बच्चा नहीं जीत पाएगा. बच्चे से जीत कर कुछ हासिल नहीं होगा, बल्कि हारने के बाद उसकी खिलखलाती हंसी जरूर मिलेगी. आपके लिए वार्डरोब फैशन और रुतबे की बात हो सकती है मगर एक गरीब के लिए कपड़े यानी तन ढकना. यदि आप कुछ कपड़े गरीबो को देंगे तो आपको दिल ही दिल ख़ुशी ही मिलेगी.
घर में कोई फंक्शन चल रहा है और पूरा परिवार एक साथ है. तो ऐसे में रात भर अंताक्षरी का दौर चलता है जिसमे आप मन खोल कर गाते है जिससे सुबह भले ही आपकी आवाज खो जाए मगर दबी हुई आवाज में अगली सुबह खुशिया ही जाहिर होगी. हम सब जानते है कि हमारी चिंता हमारे माँ-बाप से ज्यादा कोई नहीं कर सकता. इसलिए किसी बहस में उनसे हार मानना यानी उनका दिल जीतना. इस तरह हार खुशिया भी देके जाती है.
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