इलेक्ट्रॉनिक बाजार की दुनिया में मोबाइल कंपनियाँ वायरलेस चार्जिंग जैसे ऑप्शन दे रही हैं. एप्पल, सैमसंग जैसे दिग्गज कंपनियाँ इस दौड़ में सबसे आगे है. ये कंपनियाँ क्यू1 वारलेस चार्जिंग का फीचर दे रही हैं. ये प्रयोग करने में जितना आसान होता है देखने में भी उतने ही शानदार लगते है. हालांकि हममे से कई लोगों को इसके काम करने के तरीके के बारे में नहीं जानते. आज हम आपको बताने जा रहे है इस वायरलेस चार्जिंग सिस्टम के बारे में कि आखिर ये कैसे कम करता है.
ऐसे काम करता है ये चार्जर
इसमें दो सतहों के बीच पावर सिगनल्स ट्रांसमिट करने के लिए मैग्नेटिक इंडकशन और मैग्नेटिक रिजोनेन्स का प्रयोग किया जाता है. इन डिवाइसों में बिना एक दूसरे को टच किए करंट पास करने की क्षमता होती है. चार्जर का बेस पावर सप्लाई में प्लग किया जाता है और इसमें एक ट्रांसमिटर क्वाइल होता है, जब कि फोन में रिसीवर क्वाइल होता है. जब करंट का प्रवाह होता है तो बेस स्टेशन करंट भेजता है, यदि रिसीवर कोइल पास में ही होता है तो रिजोनेन्स सिगनल्स में बदल जाता है. इस तरह सिग्नल बदलते रहते है और फोन चार्ज होते रहता है. बैटरी क्वाइल से जुडी रहती है और मैग्नेटिक फील्ड द्वारा पैदा की गई एनर्जी से बैटरी चार्ज होती है.
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