इस मंदिर में होती है मन की मुराद पूरी

इस मंदिर में होती है मन की मुराद पूरी
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श्रीनाथजी मंदिर राजस्थान, भारत में स्थित एक प्रमुख हिंदू मंदिर है। यह मंदिर श्रीकृष्ण के आवतार माने जाने वाले श्रीनाथजी को समर्पित है। यह मंदिर पुष्कर शहर के पास स्थित है और वृंदावन के नंदगांव की आराध्य गुरु श्रीवल्लभाचार्य जी ने इसे स्थापित किया था।

श्रीनाथजी मंदिर की विशेषताएं:

स्थान: श्रीनाथजी मंदिर राजस्थान के पुष्कर शहर में स्थित है। यह वृंदावन से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर है।

मूर्ति: मंदिर में श्रीनाथजी की प्रतिमा स्थापित है। यह प्रतिमा कृष्ण भगवान के आवतार के रूप में विख्यात है।

पूजा विधि: श्रीनाथजी मंदिर में प्रतिदिन विभिन्न पूजा विधियों का पालन किया जाता है। प्रतिमा की पूजा, आरती, भजन, कथा और भक्ति कार्यक्रम यहां आयोजित होते हैं।

सामाजिक कार्य: मंदिर में विभिन्न सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं जैसे जन्माष्टमी, होली, दीवाली, रासलीला आदि। यहां भक्तजन आकर्षक उत्सव और महोत्सवों का आनंद लेते हैं।

आध्यात्मिकता और संस्कृति: श्रीनाथजी मंदिर धार्मिकता और संस्कृति का महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां आध्यात्मिक ज्ञान, प्रेम और सेवा के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति और सामाजिक एकता को प्रमोट किया जाता है।

श्रीनाथजी मंदिर की स्थापना क्रिश्चियन संवत् 1672 में हुई थी। यह एक भगवान कृष्ण के मंदिर है जो राजस्थान, भारत में स्थित है। मंदिर की स्थापना राजकुमार राजसिंह जी महाराज ने की थी। उन्होंने अपने वनवास के समय यहां श्रीनाथजी की प्रतिमा को स्थापित किया था।

मंदिर का निर्माण पुष्कर शहर के आस-पास के पहाड़ी इलाके में हुआ है। यहां ब्रह्मसरोवर नामक एक पवित्र तालाब भी है जिसे संस्कृत में ब्रह्मा कुंड के रूप में जाना जाता है।

श्रीनाथजी मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल है और यहां हर साल विशेष उत्सवों का आयोजन होता है। कान्हा भक्तों के लिए यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है और लाखों भक्त यहां आते हैं श्रीनाथजी के दर्शन करने के लिए।

यह मंदिर अपनी प्राचीनता, संस्कृति और आध्यात्मिक महत्व के लिए मशहूर है और लोगों के द्वारा आध्यात्मिकता, भक्ति और पूजा के लिए प्रसन्नता और शांति का स्थान है।

व्रज भक्ति: श्रीनाथजी मंदिर वृंदावन की भक्ति परंपरा से जुड़ी है। यहां कृष्ण भगवान की आवतार रूपी श्रीनाथजी की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रज भक्ति का महत्वपूर्ण केंद्र है।

वाणी बाणी: श्रीनाथजी मंदिर में वाणी बाणी की परंपरा को महत्व दिया जाता है। यहां भक्तों को आध्यात्मिक शिक्षा, गीत, व्रत कथाएं, और प्रवचनों के माध्यम से संतोषित किया जाता है।

लीला स्थल: मंदिर में श्रीकृष्ण भगवान की लीलाएं और रासलीला का निर्माण किया गया है। यहां भक्तों को श्रीकृष्ण की अद्भुत लीलाओं का आनंद और मदहोशी मिलती है।

आरती और कथा: मंदिर में नियमित रूप से आरती, कथा और भजन का आयोजन होता है। भक्तों को प्रतिदिन प्रातः और सायंकाल आरती में भाग लेने का अवसर मिलता है और उन्हें कथा के माध्यम से भगवान की महिमा का अनुभव होता है।

प्रसाद: मंदिर में विशेष प्रसाद भोग किया जाता है जैसे पंजिरी, चूरमा, पेड़े और मिठाईयां। यह प्रसाद भक्तों को उपलब्ध होता है और व्रज रसोई का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

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