हम सभी ने अक्सर ही नागा साधू के बारे में सुना है और पढ़ा भी है. ऐसे में अगर बात करें महिला नागा साधू की तो उनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. तो आइए आज हम आपको बताते हैं महिला नागा साधू के बारे में वो बात जिसे सुनकर आपका दिमाग घूम जाएगा. जी हाँ, आप सभी को यह जानकर हैरानी होगी की, महिला नागा साधू बनने के लिए 6 से 12 साल तक ब्रम्हचर्य का पालन करना होता है तथा जो महिला साधू बनना चाहती है उसको अपने गुरु को इस बात का यकीन दिलाना पड़ता है कि वो ब्रह्मचर्य का पालन कर सकती है.
कहते हैं उसके बाद ही उसका गुरु उसको महिला नागा साधू की दीक्षा देते है जिससे वह साधू बन पाती है. इन सभी में सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है की महिला नागा साधू बनने से पहले उस महिला को अपना खुद का ही पिंडदान करना पड़ता है जो बहुत बड़ी बात है. वहीं पिंडदान करने के बाद महिला को अपने सिर का मुंडन करवाना होता है जिसे करवाने से अक्सर महिलाएं कतरातीं हैं. उसके बाद उन महिलाओं को नदी में स्नान करना पड़ता है और अपने परिवार का प्यार पूरी तरह से भूलना पड़ता है.
वहीं अगर बात करें पुरुष नागा साधू की तो उन्हें नागा साधू बनने के बाद निर्वस्त्र रहना पड़ता है वहीं महिला नागा साधू को एक पीला वस्त्र धारण करना होता है. उसके बाद जब महिला नागा साधू बन जाती है तो उसे ‘माता’ की उपाधि दी जाती है और सभी लोग नागा साधु महिला को माता कहकर पुकारते हैं.