सेना में महिलाओं (Women Army Officers) ने अपना दम दिखाया है और आज के समय में सेना में स्थायी कमीशन मिलना एक बड़ा मील का पत्थर माना गया है। वैसे ऐसी ही उपलब्धि हासिल करने वाली कुछ महिला अफसरों ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ( International Women's Day) के मौके पर अपनी बात रखी। जी दरअसल उनसे सेना में एक महिला अफसर होने के नाते उनके अनुभवों को लेकर जब सवाल किए गए तो उन्होंने कहा नेतृत्व संभालने में महिला या पुरुष होना मायने नहीं रखता। केवल महिला होने के नाते खुद को साबित करना होता है, इस बात से भी वो सहमत नहीं थीं। इसके अलावा उनका कहना था, हमें तो कभी भेदभाव फील नहीं होता। आर्मी इज एबाउट यू आर ए सोल्जर यू आर नॉट ए मैन एंड नॉट ए वूमेन लीडरशिप इज नॉट अबाउट जेंडर।
एक मशहूर वेबसाइट से बातचीत में लेफ्टिनेंट कर्नल अनिला खत्री ने कहा, 'सेना की वर्दी बहुत अच्छा लगता है और जिम्मेदारी का एहसास भी है । वर्दी पहनते हैं तो खुद में जैसे अपने आप स्पाइन सीधा हो जाता है और गर्व की अनुभूति होती है। यह बात मुझे मीडिया का समझ में नहीं आता है कि आप कम ज़्यादा लड़ाई पर आप आते ही क्यों हैं । हमें जो काम दिया जाता है वह काम हम करते हैं। तुलना करना मेरे हिसाब से जरूरी नहीं है, क्या आपने यह काम किया तो हमने अपनी पूरी काबिलियत से यह काम किया है, पर यह देखना कि उसने तो ऐसा किया और मैंने ऐसा किया मेरे हिसाब से लाना जरूरी नहीं है। आपने मेरी काबिलियत के हिसाब से भरोसा करके काम दिया है। मैंने उसी हिसाब से काम किया है मेरे लिए यह संतुष्टि है।'
इसी के साथ मेजर कनिका सिंह ने कहा, 'हमने तो फिर भी सोचा हुआ था कि हमें सेना में भर्ती होना है। ऐसा कुछ नहीं है कि महिलाओं को कम ट्रेनिंग दिया जाता है। मैं लकी हूं कि मेरे साथ मेरे ट्रेनिंग इंस्ट्रक्टर खड़े हैं, जो एवरेस्ट सम्मिट की है। मुझे नहीं लगता कि महिलाओं की ट्रेनिंग कम होती है हर चैलेंज को महिलाएं पूरा करती है। मुझे लगता है कि आने वाले सालों में महिलाओं को और दूसरे स्ट्रीम में भी काम करने का मौका मिलेगा। हमें जो काम दिया जा रहा है, हम उस पर फोकस करना चाहिए और जो पॉलिसी बनाने के लिए हैं, उनको पॉलिसी बनाना चाहिए, जो हमें काम मिलता है हम उसे अच्छे से करें इसका जवाब उन्होंने तब दिया जब सवाल पूछा गया कि क्या भविष्य में महिलाओं को सेना में कॉम्बैट रोल मिलेगा।'
वहीं मेजर अंकिता चौधरी ने कहा- 'हर मुकाम पर हमने अपना सर्वोत्तम भी दिया है सेना ने हमें यहां तक पहुंचने के लिए मौका दिया है। मुझे लगता है कि अगर काबिलियत होगी तो यह दिन भी जरूर आएगा। सेना में ऐसा कोई कंपटीशन नहीं है कि इतने मेल होते हैं और इतने फीमेल होने चाहिए । इसमें एक सोल्जर होता है और अगर आप रिक्वायरमेंट फुल फिल करते हैं तुम मेल हो या फीमेल कोई फर्क नहीं पड़ता है। सेना में आने वाली महिलाओं को मैं यही कहना चाहूंगी कि जो मेरे सेना के अफसर ने कहा मैं वही कहूंगी कि जब मैंने मैरून कैप हासिल किया वन्स ए पैराट्रूपर इज नॉट ए ऑलवेज ए पैराट्रूपर यू हैव टू पैराट्रूपर एवरी डे सेम गोज तो एवरी वन । आप गुड सोल्जर हैं तो आपको हमेशा परफॉर्म करना होगा तो फौज आप ही के लिए है।'
source: ndtv
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