महिलाओं के दिल को है खास देखभाल की जरूरत, इन बातों का रखें ध्यान

महिलाओं के दिल को है खास देखभाल की जरूरत, इन बातों का रखें ध्यान
Share:

हृदय रोग को अक्सर पुरुषों की बीमारी माना गया है, लेकिन वास्तविकता में यह दुनिया भर में महिलाओं की मृत्यु के सबसे सामान्य कारणों में से एक है। महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण और इसके जोखिम पुरुषों की तुलना में भिन्न होते हैं, जिससे महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक होना आवश्यक है। "ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी" के अनुसार, दिल की बीमारियां भारतीय महिलाओं की मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक हैं। भारत में लगभग 18% महिलाओं की मृत्यु दिल से जुड़ी समस्याओं के कारण होती है। यह आंकड़ा ब्रेस्ट कैंसर और अन्य कैंसर के कुल आंकड़ों से भी अधिक है। "जर्नल ऑफ द अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी" के अनुसार, भारतीय महिलाओं में कोरोनरी धमनी रोग (CAD), जिसमें हृदय की धमनियों में रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है, का प्रसार 3% से 13% के बीच है, और पिछले दो दशकों में यह 300% तक बढ़ चुका है। भारतीय महिलाओं में दिल के दौरे की औसत आयु 59 वर्ष है, जो अन्य विकसित देशों के मुकाबले काफी कम है। यह स्थिति बताती है कि भारतीय महिलाओं को हृदय स्वास्थ्य के प्रति गंभीर होने की आवश्यकता है, अन्यथा समस्या और बढ़ सकती है।

हृदय रोग और इसके प्रकार
हृदय रोग कई प्रकार की कार्डियोवस्कुलर समस्याओं को समाहित करता है, जिनमें कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD), एरिदमिया (अनियमित दिल की धड़कन), हृदय वाल्व की समस्याएं, जन्मजात हृदय विकार और हार्ट फेल्योर शामिल हैं।

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD): इसमें हृदय की धमनियों में प्लाक जमा हो जाता है, जिससे रक्त प्रवाह बाधित हो जाता है। इसका परिणाम दिल का दौरा या एंजाइना (सीने में दर्द) हो सकता है।

एरिदमिया: इसमें दिल की धड़कन अनियमित हो जाती है। यह अत्यधिक तेज (टैचीकार्डिया) या अत्यधिक धीमी (ब्रैडीकार्डिया) हो सकती है।

हार्ट फेल्योर: इसमें हृदय अपनी पंपिंग क्षमता खोने लगता है, जिससे शरीर के विभिन्न अंगों तक रक्त का प्रवाह कम हो जाता है।

जन्मजात हृदय विकार: ये जन्म के समय से ही मौजूद हृदय की संरचनात्मक समस्याएं होती हैं।

महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण
महिलाओं में हृदय रोग के लक्षण पुरुषों से भिन्न होते हैं। जहां पुरुषों में सीने में तेज दर्द या भारीपन आम लक्षण होते हैं, वहीं महिलाओं में ये लक्षण हल्के हो सकते हैं या सीने में दर्द की जगह मितली, उल्टी, अत्यधिक थकान, सांस लेने में कठिनाई या जबड़े, गर्दन और पीठ में दर्द हो सकता है। इस अंतर के कारण महिलाओं में हृदय रोग का निदान अक्सर देर से होता है, जिससे समय पर उपचार नहीं हो पाता।

महिलाओं में हृदय रोग के जोखिम कारक
महिलाओं में हृदय रोग के कुछ प्रमुख कारण और जोखिम कारक पुरुषों से भिन्न होते हैं। इन कारकों को जानना और समझना हृदय रोग की रोकथाम और प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।

मेनोपॉज: मेनोपॉज के दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर घट जाता है। एस्ट्रोजन दिल की धमनियों को लचीला बनाए रखने और रक्त प्रवाह को सुचारू रखने में मदद करता है। मेनोपॉज के बाद इस हार्मोन की कमी से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। जिन महिलाओं को मेनोपॉज जल्दी होता है या जिनका कोई बच्चा नहीं हुआ होता, उनमें हृदय रोग का जोखिम और अधिक होता है।

गर्भावस्था से संबंधित समस्याएं: गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज और प्रीक्लेम्पसिया जैसी समस्याएं भविष्य में हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान हृदय की सेहत पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है, खासकर जब जटिलताएं उत्पन्न हों। गर्भावस्था में हार्ट फेल्योर के लक्षण छिप सकते हैं, जिससे निदान और उपचार में देरी हो सकती है।

डायबिटीज: डायबिटीज से पीड़ित महिलाओं में हृदय रोग का जोखिम पुरुषों से अधिक होता है। उच्च रक्त शर्करा (ब्लड ग्लूकोज) रक्त वाहिकाओं को क्षति पहुंचा सकती है, जो हृदय के लिए खतरनाक हो सकती है। मधुमेह से पीड़ित महिलाओं में दिल की विफलता का खतरा पुरुषों की तुलना में दोगुना होता है।

धूम्रपान: धूम्रपान न केवल फेफड़ों के लिए हानिकारक है, बल्कि यह दिल की बीमारियों का भी एक प्रमुख कारण है। महिलाओं में धूम्रपान के कारण दिल का दौरा पड़ने की संभावना पुरुषों की तुलना में अधिक होती है।

मोटापा और शारीरिक निष्क्रियता: अधिक वजन और शारीरिक रूप से सक्रिय न होना हृदय रोग के प्रमुख कारक हैं। महिलाओं में यह समस्या विशेष रूप से प्रेग्नेंसी के बाद बढ़ जाती है, जिससे दिल के रोगों का खतरा बढ़ता है।

हृदय रोग की रोकथाम के उपाय
महिलाएं अपनी जीवनशैली में बदलाव लाकर हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकती हैं। इसके लिए निम्नलिखित सावधानियां महत्वपूर्ण हैं:

संतुलित और पौष्टिक आहार: फल, सब्जियों, साबुत अनाज और स्वस्थ वसा का सेवन हृदय के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद करता है, जिससे हृदय रोग का खतरा कम होता है।

नियमित व्यायाम: शारीरिक गतिविधियां दिल के स्वास्थ्य को मजबूत बनाती हैं। व्यायाम से हृदय की पंपिंग क्षमता बढ़ती है, जिससे रक्तचाप नियंत्रित रहता है और शरीर का वजन संतुलित रहता है। दिन में कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि करना लाभकारी है।

तनाव प्रबंधन: मानसिक तनाव दिल की बीमारियों का एक प्रमुख कारण है। तनाव को नियंत्रित करने के लिए ध्यान, योग और प्राणायाम जैसे तकनीकों का सहारा लिया जा सकता है। ओवरईटिंग, धूम्रपान और मदिरा सेवन से बचें, जो तनाव को बढ़ाते हैं और दिल के लिए नुकसानदायक होते हैं।

रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल की निगरानी: उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल का नियमित परीक्षण हृदय रोग से बचाव के लिए आवश्यक है। उच्च रक्तचाप को साइलेंट किलर कहा जाता है, क्योंकि यह बिना किसी स्पष्ट लक्षण के हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकता है।

वजन नियंत्रण: स्वस्थ वजन बनाए रखना हृदय रोग के जोखिम को कम करने में सहायक होता है। मोटापा हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और डायबिटीज का जोखिम बढ़ाता है।

नियमित स्वास्थ्य जांच: महिलाओं को समय-समय पर डॉक्टर से मिलकर रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए। इससे समय रहते किसी भी समस्या का पता लगाया जा सकता है और उचित उपचार किया जा सकता है।

हार्मोनल बदलावों पर ध्यान दें: मेनोपॉज के बाद हार्मोनल बदलावों से हृदय पर पड़ने वाले प्रभाव को समझना आवश्यक है। एस्ट्रोजन के कम होने से दिल की धमनियों पर असर पड़ता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है।

महिलाओं में हृदय रोग एक गंभीर समस्या है, जिसकी पहचान और जागरूकता समय पर होना आवश्यक है। हृदय रोग के जोखिमों को कम करने के लिए महिलाओं को अपनी जीवनशैली में सुधार लाने की आवश्यकता है, जिसमें संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन, और समय-समय पर स्वास्थ्य जांच शामिल हैं। हार्मोनल बदलाव और गर्भावस्था से जुड़े जोखिम कारकों पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है। अपनी हृदय की सेहत का ध्यान रखना और समय पर उचित चिकित्सा लेना, हृदय रोग से बचाव के लिए सबसे बड़ा कदम हो सकता है।

सेहत के लिए औषधि से कम नहीं है ये चाय, आसान है बनाने की विधि

डायबिटीज के कारण पैरों में रहती है सूजन तो ऐसे पाएं छुटकारा

क्या होता है 150 सेकेंड वॉकिंग-वर्कआउट सेशन?

 

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -