महिला-मजदूर-बेरोज़गार..! दिल्ली में भी 5 गारंटियों के साथ उतरेगी कांग्रेस, मुस्लिम वोटों को लेकर खींचतान

महिला-मजदूर-बेरोज़गार..! दिल्ली में भी 5 गारंटियों के साथ उतरेगी कांग्रेस, मुस्लिम वोटों को लेकर खींचतान
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नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव की घडी अब करीब आ रही है, इसके साथ ही राजनितिक दलों की रणनीतियां भी सामने आने लगी हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो अरविन्द केजरीवाल जहाँ अपनी सत्ता बचाने के लिए महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना को हथियार बना रहे हैं, वहीं कांग्रेस ने भी अपनी उस रणनीति पर चलने का फैसला किया है, जिसने उसे कर्नाटक, हिमाचल और तेलंगाना चुनावों में सफलता दिलाई थी, यानी चुनावी गारंटी। 

दिल्ली चुनाव में भी कांग्रेस 5 गारंटियों के जरिए जनता का भरोसा हासिल करने की फ़िराक में है, ताकि एक दशक से अधिक समय से चले आ रहे सत्ता के सूखे को समाप्त किया जा सके। कांग्रेस को अब 2013 की अपनी गलती भी याद आ रही होगी, जब उसने केजरीवाल को समर्थन देकर AAP को पहली बार सत्ता में बिठाया था। अब वही AAP और केजरीवाल, कांग्रेस के लिए सिरदर्द बन गए हैं। पिछले दो चुनावों में दिल्ली में जिस तरह से कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हुआ है, उससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि इस बार पार्टी को बहुत अधिक जोर लगाना होगा, क्योंकि कांग्रेस के कोर मुस्लिम वोटर भी AAP के खेमे में चले गए हैं। 

सूत्रों का कहना है कि AAP को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने महिलाओं, युवाओं, बुजुर्गों के लिए 5 गारंटियों का ऐलान करने का मन बनाया है, जो पार्टी के घोषणापत्र में दिख सकता है। दिल्ली चुनाव जीतने पर कांग्रेस महिलाओं को 3000 रूपए प्रतिमाह तक देने का वादा करने जा रही है, जबकि केजरीवाल ने हर महीने 2100 देने का वादा किया है। सूत्रों का ये भी कहना है कि कांग्रेस सभी के लिए स्वास्थ्य बीमा को लेकर ऐलान करेगी, जो AAP की संजीवनी योजना को टक्कर देगी। 

इसके अलावा पार्टी ने दिल्ली के बेरोज़गार युवाओं को भी टारगेट करने की रणनीति तैयार की है। बताया जा रहा है कि, पार्टी बेरोज़गार युवाओं के लिए अप्रेंटिसशिप योजना की घोषणा कर सकती है। इसके साथ ही मजदूरों-कामगारों के लिए लेबर क्लास इनकम गारंटी स्कीम का भी ऐलान किया जा सकता है। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी राशन को लेकर भी बड़ी घोषणा कर सकती है, जिसमे हर गरीब परिवार को मुफ्त राशन देना शामिल है। 

बता दें कि, दिल्ली पर 15 वर्षों तक शासन कर चुकी कांग्रेस, बीते 11 वर्षों से कुर्सी की बाट जोह रही है। एक दशक से केजरीवाल ने दिल्ली में ऐसा जादू चलाया है कि कोई भी दूसरा दल उन्हें टक्कर नहीं दे पाया है। पिछले दोनों चुनावों में AAP ने प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी की है, लेकिन इस बार माहौल कुछ अलग नज़र आ रहा है। AAP की सरकार, शराब घोटाले, दिल्ली जल बोर्ड घोटाला, शीशमहल जैसे गंभीर आरोपों में घिरी हुई है और किसी भी मामले में उसे अदालत से क्लीन चित नहीं मिली है, हालाँकि, उसके नेता जमानत लेकर जेल से बाहर जरूर हैं, लेकिन जांच जारी है और आरोप साबित भी हो सकते हैं।   

वहीं, लोकसभा में INDIA गठबंधन के तहत एक साथ लड़े AAP और कांग्रेस ने विधानसभा में कट्टर दुश्मनों का रूप ले लिया है, जिसने दिल्ली के मुस्लिम वोटर्स को लेकर खींचतान तेज़ कर दी है। मुस्लिम समुदाय कांग्रेस का मुख्य वोट बैंक माना जाता है, लेकिन पिछले कुछ समय से AAP को समर्थन कर रहा है। कांग्रेस इस चुनाव में उसे भी वापस पाने की पूरी कोशिश करेगी। इसीलिए पार्टी, वक्फ बिल का विरोध कर रही है, संभल जैसे मुस्लिमों के मुद्दों को जोर शोर से उठा रही है, ताकि समुदाय में ये सन्देश जाए कि कांग्रेस ही उनकी असल रहनुमा है। लेकिन इसमें एक समस्या भी है, वो ये कि AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी भी दिल्ली की मुस्लिम बहुल सीटों पर दांव खेलने वाले हैं, जिससे कांग्रेस, AAP और AIMIM में वोटों का बंटवारा होगा। ये बंटवारा चुनावी नतीजों पर गहरा असर डाल सकता है, जिससे नुकसान कांग्रेस और AAP को ही उठाना होगा, क्योंकि ओवैसी के पास दिल्ली में खोने के लिए कुछ नहीं है।    

बता दें कि दिल्ली में फ़रवरी में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। हालाँकि, अभी तक निर्वाचन आयोग ने कार्यक्रम का ऐलान नहीं किया है, लेकिन राजनितिक दलों की तेजी संकेत दे रही है कि चुनाव बेहद नजदीक हैं।   

 

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