नई दिल्ली: क्या आप जानते है कि नशा करने वालों को सबसे ज्यादा एचआईवी हो रहा है. एक दूसरे के साथ सीरिंज के जरिए नशा लेने वाले लोग लगातार राजधानी में एचआईवी के मरीजों की संख्या भी बढ़ा रहे हैं. वहीं विश्व एड्स दिवस की पूर्व संध्या पर अस्पतालों में की गई पड़ताल में ज्यादातर जगहों पर दवाएं उपलब्ध तो मिलीं, लेकिन पूछताछ में पता चला कि यहां आए दिन दवाएं समाप्त हो जाती हैं. जंहा पिछले माह ही दवाएं दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर होने के बाद पहुंची थीं जबकि इससे पहले जुलाई से दिल्ली के अस्पतालों में दवाएं उपलब्ध नहीं है.
वहीं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिल्ली में 11 एआरटी सेंटर हैं और करीब 30 हजार मरीज यहां अपना उपचार करा रहे हैं. सरकारी आंकड़ों की मानें तो दिल्ली में एचआईवी/एड्स मरीजों की संख्या 28445 पर पहुंच चुकी है. वर्ष 2017-18 के दौरान दिल्ली में 6563, वर्ष 2016 में 6340 और वर्ष 2015 में 6622 नए मरीजों की पहचान भी की जा चुकी है. दिल्ली स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पुरानी दिल्ली, यमुना बाजार और पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर जैसे इलाकों में सबसे ज्यादा नशा करने वाले लोग एचआईवी ग्रस्त पाए गए हैं. इन इलाकों में सरकार के स्तर पर कई कार्यक्रम भी संचालित हैं, बावजूद इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है. वहीं एचआईवी के मरीजों को लेकर कार्य करने वाली संस्था डीएनपी प्लस के हरीशंकर का कहना है कि बाहरी दिल्ली के क्षेत्रों में सीरिंज के जरिए नशा करने वालों की तादाद काफी है. वहीं एम्स और सफदरजंग से लेकर दिल्ली के अस्पतालों तक में आए दिन दवाएं खत्म हो जाती हैं. 29 अगस्त को उन्होंने 20 मरीजों को दवाएं बाहर से खरीदकर उपलब्ध कराईं थी. दिल्ली में यूपी, हरियाणा, राजस्थान और एमपी तक का मरीज इलाज के लिए आता है.
विषेशज्ञों के अनुसार देश में हर वर्ष 400 लोगों की मौत एड्स से हो रही है: वही यदि हम बात करें सूत्रों कि तो राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (नाको) के अनुसार अक्तूबर 2015 से मार्च 2016 के बीच देश भर के राज्यों की एड्स को लेकर ग्रेडिंग की गई थी. इसमें राजधानी दिल्ली 84 अंकों के साथ छठवें स्थान पर थी जबकि शीर्ष स्थान पर महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश 155 अंकों के साथ था. विशेषज्ञों के अनुसार देश में हर वर्ष 400 लोगों की मौत एड्स से हो रही है. 2017 तक देश में एचआईवी ग्रस्त मरीजों की संख्या 2 लाख 465 दर्ज की गई है.
जंहा दिल्ली एड्स नियंत्रण सोसायटी के अनुसार जितनी तेजी से दिल्ली आने वालों की संख्या बढ़ रही है उतनी ही तेजी से एचआईवी/एड्स के मामले भी बढ़ रहे हैं. प्रवासी मजदूरों और कर्मचारियों के कारण मरीजों की स्थिति भयावह देखने को मिल रही है. वहीं दिल्ली सरकार के सबसे बड़े केंद्र लोकनायक अस्पताल के डॉक्टर का कहना है कि उनके यहां इलाज के लिए पहुंच रहे एचआईवी के मरीजों में कुछ ऐसे भी हैं, जिन्हें उपचार के दौरान बीमारी का दंश झेलना पड़ा. मिली जानकारी के मुताबिक एक 8 वर्षीय बच्चा झुंझनू निवासी कुछ दिन पहले ब्लड ट्रांसफ्यूजन के चलते एचआईवी ग्रस्त हुआ था. हालांकि चिकित्सीय लापरवाही की वजह से बीमारी के उदाहरण कम है. उनका मानना है कि असुरक्षित यौन संबंध और नशे की सीरिंज के कारण दिल्ली में ज्यादा एचआईवी मरीज देखने को मिल रहे हैं.
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