आगरा: हाल ही में उत्तर प्रदेश के आगरा में पढ़ने आई एक युवती तीन दोस्तों को एड्स की सौगात देकर चली गई. तबियत बिगड़ने पर जब एक युवक चिकित्सक के पास पहुंचा तो जानलेवा बीमारी होने का खुलासा हुआ. बाद में घबराए दोस्तों ने भी जांच कराई तो उनको भी एड्स निकला. तीनों युवक अब दिल्ली में उपचार करा रहे हैं. वहीं थाना न्यू आगरा क्षेत्र में किराए के मकान में रहने वाली एक लड़की की दोस्ती पड़ोस में रहने वाले तीन युवकों से थी. उपचार कराने पहुंचे पीड़ित युवक ने चिकित्सक को बताया कि दोस्ती के बाद दोनों में संबंध बने. करीब चार माह तक दोनों रिलेशन में भी रहे. इसी दौरान उसके दो और दोस्तों के भी युवती से संबंध रहे. चिकित्सक ने जब उसे जानलेवा बीमारी एड्स होने के बारे में बताया तो वह रोने लगा. उसको एड्स होने की जानकारी पर दोनों दोस्त भी घबरा गए. काफी दहशतजदां स्थिति में वह चेक कराने चिकित्सक के पास पहुंचे. डॉक्टर ने जांच के बाद उन दोनों को भी एड्स होने की पुष्टि की. तीनों के परिवार में जब इस बारे में जानकारी हुई तो हड़कंप मच गया.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जंहा उनको उपचार के लिए दिल्ली ले जाया गया है. तीनों युवकों के अन्य दोस्तों को मामले की जानकारी हुई तो उनके बीच भी हड़कंप मचा हुआ है. कोचिंग एवं कॉलेज जाने वाले छात्रों के बीच यह प्रकरण काफी चर्चा का विषय बना हुआ है. जंहा एसएन मेडिकल कॉलेज के एंटी रिट्रो वायरल थेरेपी (एआरटी) सेंटर प्रभारी डॉ. जितेंद्र दौनेरिया का कहना है कि युवाओं में यौन संबंधों के मामलों में एड्स होने के प्रकरण सामने आ रहे हैं. महानगर में युवाओं को सुरक्षित संबंध रखने के लिए काफी जागरुक भी किया जा रहा है, मगर अब भी इस तरह की गलतियां कर युवा अपने जीवन दांव पर लगा रहे हैं.
परिवारीजनों को भी नहीं बताया था: वहीं तीनों दोस्तों ने समाज में बदनामी के डर से यह बात परिवारीजनों को काफी दिनों तक नहीं बताई. अब तीनों दोस्त शर्मिंदा हैं. दो ने फैसला किया है कि जब तक वह ठीक नहीं होंगे, तब तक शादी नहीं करेंगे.
युवती अब नहीं रहती शहर में: सूत्रों का कहना है कि एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद युवक युवती के पास गए. उसका कोई पता नहीं चला. जहां पर वह पहले रहती थी, कमरा खाली कर शहर से चली गई है. पढ़ाई पूरी हो गई है. वह एक जगह पार्ट टाइम नौकरी भी करती थी. एड्स पीड़ित के बच्चे भी इसका शिकार होंगे. यह धारणा अब गलत साबित हो रही है. लगातार इलाज और बच्चों की अच्छी देखभाल से उन्हें संक्रमण से बचाया जा सकता है. एसएन मेडिकल कॉलेज में प्रिवेंशन ऑफ पेरेन्ट टू चाइल्ड ट्रांसमिशन सेंटर (पीपीटीसीटी) इसी की रोकथाम कर रहा है. अस्पताल में यह सेंटर 2005 से चल रहा है. यहां एचआईवी संक्रमित माताओं का प्रसव कराया जाता है. प्रसव के बाद बच्चे की विशेष देखभाल की जाती है. उसका परीक्षण किया जाता है. बच्चे का आखिरी परीक्षण 18 माह पर किया जाता है. इसमें अगर एचआईवी नहीं है तो बच्चा बिलकुल स्वस्थ माना जाता है. अच्छी बात यह कि तमाम एचआईवी संक्रमित माताओं के बच्चों पर इस रोग की छाया तक नहीं पड़ी है. 2005 से अब तक यहां 297 प्रसव किए गए हैं. इनमें से 178 की रिपोर्ट नकारात्मक आई है. 2019 में अब तक एचआईवी की जांच के बाद 20 बच्चों में इसकी रिपोर्ट नकारात्मक आई है. शेष प्रसव के बाद जांच के लिए नहीं आए.
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