आर्थराइटिस देता है कई अन्य बीमारियों को जन्म, जाने

आर्थराइटिस देता है कई अन्य बीमारियों को जन्म, जाने
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Arthritis कई अन्य रोगो को जनम देता है आज हम आपके साथ सहरे करने जा रहे है इससे जुडी जानकारी और इसका  मकसद लोगों को जॉइंट्स से जुड़ी इस बीमारी के प्रति सजग बनाना है जो बुजुर्गों में ही नहीं बल्कि अब युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रही है। यह बात तो सभी लोग जानते हैं कि गठिया यानी आर्थराइटिस से जोड़ों में दर्द और शरीर में अकड़न आ जाती है जिससे चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। लेकिन शायद कम ही लोग जानते होंगे कि गठिया होने से शरीर में ब्लड प्रेशर, डायबीटीज और हृदय रोग बीमारियां घातक बीमारियां भी हो सकती हैं। 

गठिया से बचने के कई उपाय है यहाँ हम आपके साथ शेयर करने जा रहे है ऐसे ही कुछ उपायों को जैसे की ऑर्थराइटिस के कारण कार्टिलेज को नुकसान पहुंचता है। यह 70 प्रतिशत पानी से बने होते हैं, इसलिए ढेर सारा पानी पिएं। कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थों जैसे दूध, दुग्ध उत्पादों, ब्रॉकली, साल्मन मछली, पालक, राजमा, मूंगफली, बादाम, टोफू आदि का सेवन करें। जोड़ों के स्वास्थ्य के लिए विटमिन सी और डी बहुत जरूरी है। इसलिए विटमिन सी और डी से भरपूर खाद्य पदार्थों जैसे स्ट्रॉबेरी, संतरे, कीवी, अनानास, फूलगोभी, ब्रॉकली, पत्ता गोभी, दूध, दही, मछली आदि का सेवन करें। कुछ समय धूप में भी बिताएं। यह विटमिन डी का बेहतरीन स्रोत है।  वजन को नियंत्रण में रखें। वजन ज्यादा होने से जोड़ों जैसे घुटनों, टखनों और कूल्हों पर दबाव पड़ता है। नियमित रूप से व्यायाम करके ऑर्थराइटिस के खतरे को कम किया जा सकता है। लेकिन एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें। अधिक मात्रा में फल और सब्जियों का सेवन करें। ये ऑस्टियो ऑर्थराइटिस से बचाते हैं।

ध्यान देने वाली बात ये है की गठिया से बचना है तो नियमित रूप से व्यायाम करें और संतुलित भोजन लें क्योंकि शरीर में गठिया एक बार हो जाए तो इससे कई और तरह की बीमारियां पैदा हो जाती हैं। शरीर का वजन बढ़ने लगता है, हाइपरटेंशन, डायबीटीज, हार्ट फेल्योर, अस्थमा, कलेस्ट्रॉल, बांझपन समेत कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं। गठिया 100 से भी ज्यादा प्रकार का होता है। यह रोग मूलतः प्यूरिन नामक प्रोटीन के मेटाबॉलिज्म की विकृति से होता है। खून में यूरिक ऐसिड की मात्रा बढ़ जाती है। व्यक्ति जब कुछ देर के लिए बैठता या फिर सोता है तो यही यूरिक ऐसिड जोड़ों में इकठ्ठा हो जाता है, जो अचानक चलने या उठने में तकलीफ देता है। शरीर में यूरिक ऐसिड की मात्रा काफी बढ़ जाने पर यह गठिया का रूप ले लेता है। ध्यान न देने पर घुटना, कूल्हा आदि खराब हो जाते हैं। इस कारण कृत्रिम घुटना लगवाने की नौबत तक आ जाती है। हालांकि घुटना रक्षित तकनीक से लंबे समय तक घुटने के दर्द से बचा जा सकता है।

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