पूरी दुनिया में मई माह के प्रथम मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। विश्व अस्थमा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है विश्वभर के लोगों को अस्थमा बीमारी के बारे में जागरूक करना। विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन हर साल ग्लोबल इनिशिएटिव फॉर अस्थमा (GINA) द्वारा किया जाता है। वर्ष 1998 में पहली दफा बार्सिलोना, स्पेन समेत 35 देशों में विश्व अस्थमा दिवस मनाया गया था।
एक अनुमान के अनुसार भारत में अस्थमा के रोगियों की संख्या तक़रीबन 15 से 20 करोड़ है, जिसमें से करीब 12 फीसद भारतीय शिशु अस्थमा से ग्रसित हैं.अस्थमा के मरीजों को आजीवन कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। अस्थमा के मरीज़ों को हर मौसम में अतिरिक्त सुरक्षा की जरुरत होती है। वातावरण में मौजूद नमी अस्थमा के पेशेंट्स को कई प्रकार से प्रभावित करती है।
वायरल इंफेक्शन से ही दमे की शुरुआत होती है। कोई भी व्यक्ति अगर बार-बार सर्दी, बुखार से परेशान हों तो यह एलर्जी का संकेत है। सही वक़्त पर इलाज करवाकर और संतुलित जीवन शैली अपनाकर, बच्चों को इस एलर्जी से बचाया जा सकता है। समय पर अगर उपचार नहीं कराया जाता, तो वे धीरे-धीरे अस्थमा के मरीज बन जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर और प्राणायाम तथा योग द्वारा अपनी श्वसन प्रणाली को मजबूत कर इस रोग को दूर रखा जा सकता है।
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