ग्वालियर: कुर्सी पर बैठाकर ब्रेन ट्यूमर का कामयाब आपरेशन ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल (जेएएच) के डाक्टर कर रहे हैं। विशेष बात यह भी है कि आपरेशन के चलते रोगी को पूर्ण बेहोश नहीं किया जाता है। इस के चलते रोगी जाग्रत स्थिति में रहता है। आपरेशन की इस पद्धति को अवैक क्रोनोटोनिया बोला जाता है। क्योकि इसको कम सुरक्षित माना जाता रहा है, इसलिए डाक्टर इस पद्धति को कम प्राथमिकता देते रहे हैं, किन्तु ग्वालियर के न्यूरो सर्जरी विभाग के सभी 6 सर्जन प्रतिमाह 20 से 25 ऐसे कामयाब आपरेशन कर रहे हैं। चिकित्सक बताते हैं कि इस पद्धति का उपयोग छोटे ट्यूमर की सर्जरी में किया जाता है।
जयारोग्य अस्पताल में पदस्थ न्यूरो सर्जन डा. अविनाश शर्मा बताते हैं कि यह सबसे सरल पद्धति है। इस पद्धति से आपरेशन में सिर के पिछले भाग में उपस्थित ब्रेन ट्यूमर को निकाला जाता है। मरीज को कुर्सी पर बैठाकर (सिर एवं शरीर को क्लैंप से कसा जाता है) हल्का सा बेहोश किया जाता है। तत्पश्चात, उसके सिर के पीछे का हिस्सा खोला जाता है। इससे सर्जन को ट्यूमर स्पष्ट नजर आता हैै। सर्जरी में खून बाहर निकलता रहता है, जिससे भीतर एयर एंबोलिस (हवा के बुलबुले) नहीं बनते। ग्वालियर में हर साल ब्रेन ट्यूमर के 800 से 1000 आपरेशन होते हैं। इसमें अवैक क्रोनोटोनिया पद्धति से आपरेशन भी होते हैैं। आपरेशन के चलते डाक्टर मरीज से बातचीत भी करते रहते हैं, जिससे उसे कोई परेशानी हो तो तत्काल पता चल सके। डा. शर्मा कहते हैं कि कुर्सी पर बैठाकर मरीज का आपरेशन करने में उसका रक्तचाप (बीपी) नीचे जाने व खून का संचार करने वाली धमनियों में हवा का दबाव बनने का खतरा ज्यादा होता है। हालांकि, इस पद्धति से आपरेशन में सुविधा यह होती है कि मस्तिष्क को खोलने पर रक्त बाहर की तरफ बहता है, जिससे भीतर खून नहीं भरता तथा सर्जन का फोकस ट्यूमर पर पाता है। यदि इस के चलते मस्तिष्क की कोई भी नर्व डैमेज होगी तो मरीज को लकवा, आंखों की रोशनी जाना, बोलने की क्षमता चले जाने जैसे दुष्प्रभाव जीवन भर के लिए भोगने पड़ सकते हैं।
वही ग्वालियर के बिरला इंस्टीट्यूट मेडिकल रिसर्च (बीआइएमआर) के न्यूरो सर्जन डा. अभिषेक चौहान ने 2021 में 9 वर्षीय एक बच्ची के मस्तिष्क से ट्यूमर निकालने के लिए अवैक क्रोनोटानिया पद्धति से आपरेशन किया था। आपरेशन के चलते बच्ची पियानो बजाती रही तथा उन्होेंने ट्यूमर निकाल दिया। डा. चौहान बताते हैं कि आपरेशन के एक वर्ष पश्चात् उसका सीटी स्कैन कराया गया, जिसमें सब कुछ सामान्य था। जिसका वीडियो अभी आज बहुत वायरल हो रहा है।
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