विश्व में मूक बधिरों का संघ डब्ल्यूएफडी एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है, जो बधिर लोगों के राष्ट्रीय संघों के लिए एक शीर्ष निकाय के रूप में कार्य करता है। इसके अंतर्गत बहरे लोगों पर ध्यान दिया जाता है, जो मुख्य रूप से भाषा को समझने के लिए साइन लेंग्वेज का या फिर परिवार और दोस्तों का उपयोग करते हैं। 30 सितंबर को मनाए जाने वाले इस दिवस का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर काम करके दुनिया भर में बधिर लोगों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देना है।
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वहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर संगठन आईएलओ और विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ जैसी विभिन्न संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां इस पर काम कर रही हैं। डब्ल्यूएफडी अंतर्राष्ट्रीय विकलांगता गठबंधन आईडीए का सदस्य भी है, जब कोई व्यक्ति बोलता है, तो वह ध्वनि तरंगों के द्वारा हवा में एक कंपन पैदा करता है, यह कंपन कान के पर्दे एवं सुनने से संबंधित तीन हड्डियों मेलियस, इन्कस एवं स्टेपीज के द्वारा कान में पहुंचता है और सुनने की नस द्वारा कान से मस्तिष्क में संप्रेषित होता है, इस कारण हमें ध्वनि होने का अहसास होता है।
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वहीं यदि किसी कारण से ध्वनि की इन तरंगों में अवरोध पैदा हो जाए, तो बहरापन भी हो जाता है और व्यक्ति सुनने में असमर्थ महसूस करता है। यदि अवरोध कान के पर्दे या सुनने की हड्डियों तक सीमित रहता है तो इसे कन्डक्टिव डेफनेस कहते हैं। जानकारी के अनुसार कुछ व्यक्तियों में पैदाइशी बहरापन होता है जिसके लिए उन्हें मशीन का उपयोग करना पड़ता है। वहीं कुछ बच्चों में ये वंशानु्गत भी होता है, ये मुख्य रूप से पैदा होते समय बच्चे के देर से रोने पर खून में आॅक्सीजन की कमी के कारण अथवा कान के पूर्णतया विकसित न होने के कारण हो सकता है साथ ही ध्वनि प्रदूषण जैसे तेज आवाज के जेनरेटर, तेज हार्न, वाहनों द्वारा प्रदूषण से भी बहरापन हो सकता है, इसके उपचार के लिए ध्वनि से संबंधित यंत्रों से जितना हो सके बचना चाहिए ज्यादा साउंड वाले यंत्रों से कान के पर्दे फटने का भी डर रहता है। वर्तमान समय में पूरे विश्व में इसके निदान के लिए शिविरों का भी आयोजन किया जाता है। जिससे लोगों में बहरेपन की समस्या खत्म हो सके।
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