आज के समय में बधिरअभिशाप नहीं, बल्कि समाज से हटकर कुछ अलग करने का जज्बा पैदा कर रहा है। जिसे लेकर जिंदगी को दोष देने के बजाय उसके साथ जीने का तरीका सीखना चाहिए। भगवान ने हर बच्चे को अलग काबिलयत से नवाजता है लेकिन कुछ बच्चों को कुछ ख़ास चीजे भी प्रदान करता है। बस आवश्यकता है उस काबलियत को निखारने की। अगर समाज का सही साथ मिले तो मूक-बधिर भी आसमान भी छू रहे है।
इसलिए मनाया जाता है दिवस: जिला दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी केके वर्मा ने कहा कि मूक बधिरों को सामाजिक, आर्थिक और समानता का हक दिलवाने के लिए 27 सितंबर को प्रत्येक वर्ष विश्व मूक बधिर दिवस मनाया जाता है। विश्व बधिर संघ (WAFD) ने वर्ष 1958 से विश्व मूक-बधिर दिवस का आरम्भ हुआ था। विभागीय योजनाएं मूक बधिरों को समाज की मुख्यधारा में लाने का कार्य कर रहे है। दिव्यांगों को 500 रुपये महीने की पेंशन व मूक बधिर बच्चों का ऑपरेशन भी करवाया जा रहा है।
फैशन की बारीकियां सीख भविष्य संवार सकेंगे मूक बधिर: मूक बधिर की सहायता के लिए कई लोग आगे आ रहे है, विशेष युवाओं काे के लिए डॉ. शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास महाविद्यालय के डेफ (बधिर) कॉलेज में बैचलर ऑफ वोकेशनल (बीवोक) कोर्स की शुरुआत की जाने वाली है। मूक अधिर विद्यार्थियों को मल्टी मीडिया से लेकर फैशन डिजाइनिंग सहित 10 कोर्स के द्वारा पढ़ाया जाने वाला है। विवि के कुल सचिव व दिव्यांगलन सशक्तीकरण मंत्रालय के संयुक्त निदेशक अमित कुमार सिंह ने कहा कि यहां सांकेतिक भाषा में विद्यार्थियों को फैशन डिजाईनिंग के गुर सीखाए जाने वाले है। IT एंड मल्टी मीडिया, पेंट टेक्नोलॉजी व इंटीरियर डिजाइनिंग की भी समझ पैदा कर रहे है। तैयारियां पूरी हो गई हैं। कुलपति डॉ.आरकेपी सिंह के निर्देशन में कोर्स को नई ऊंचाइयां दी जाएंगी।
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