नई दिल्ली- जिम्नास्टिक खेल प्रेमियों के लिए आज बहुत खास दिन है. 16 सितम्बर को "विश्व जिम्नास्टिक डे" के रूप में मनाया जाता है. जिम्नास्टिक का इतिहास बहुत पुराना है. प्रागेतिहासिक काल से ही यह खेला जा रहा है. लेकिन तब यह कोई प्रतियोगिता के रूप में नहीं खेला जाता था. बल्कि पुरुष अपने शरीर को हष्ट-पुष्ट रखने के लिए खेलते थे, समय बीतता गया और इस खेल में भी बदलाव आता गया.
जिम्नास्टिक को वैश्विक पहचान ओलम्पिक से मिली इसके बाद यह काफी फेमस हुआ. 1881 में अंतर्राष्ट्रीय जिम्नास्टिक्स फेडरेशन (एफ आई जी) की स्थापना की गई. 1896 में "आधुनिक" ओलंपिक खेलों में इसे शामिल किया गया. 1950 के दशक तक आते-आते राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिताएं आयोजित होने लगी. और अब इसे पुरुष और महिलाओ द्वारा खूब खेला जाने लगा.
भारत में जिम्नास्टिक की बात करे तो त्रिपुरा इसका गढ़ है, यहाँ की दीपा कर्माकर ने पिछले ओलम्पिक में भारत की तरफ से शानदार प्रदर्शन किया था. हांलाकि वे कोई पदक तो नहीं जीत सकी लेकिन इतने बड़े मंच पर जिम्नास्टिक में भारत को पहचान जरूर दिलाई. इसी उपलब्धि के आधार पर उनको अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
जिम्नास्टिक से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बाते-
-जिम्नास्टिक्स एक खेल है, जिसमें जिम्नास्ट खिलाड़ी को प्रशिक्षित करता है
-एक जिम्नास्ट एक को मजबूत शरीर की जरूरत है -जिम्नास्टिक्स शक्ति, लचीलापन, संतुलन और नियंत्रण पर आधारित एक खेल है
- इसमें कलात्मक जिम्नास्टिक्स सबसे अच्छा व्यायाम खेल माना जाता है
-सभी उम्र और क्षमताओं के जनरल जिमनास्टिक लोग भाग ले सकते हैं
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