बीजिंग: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साइंटिफिक रिसर्च को रोकने के लिए चीनी अधिकारियों को जमकर लताड़ लगाई है, जिससे कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता चल सके। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, WHO ने शुक्रवार (17 मार्च) को चीनी अधिकारी से तीन वर्ष पहले डेटा का खुलासा नहीं करने के कारणों के बारे में भी पूछा और सवाल किया कि जनवरी में ऑनलाइन प्रकाशित होने के बाद अब डेटा क्यों नहीं मिल पाया ?
बता दें कि, 2020 में पूरे विश्व में कोरोना महामारी ने दस्तक दी थी. ये जानलेवा कोरोना वायरस सबसे पहले चीन के वुहान शहर में पाया गया था। अब 3 वर्षों के बाद अब WHO ने चीनी अधिकारियों को वैज्ञानिक अनुसंधान रोकने के लिए लताड़ लगाई, जिससे कोरोना वायरस की उत्पत्ति के संबंध में पता लग सकता था। वायरस विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कोरोनावायरस से संबंधित डेटा को डाउनलोड किया और रिसर्च का विश्लेषण करना शुरू किया। टीम ने खुलासा किया कि डेटा के अनुसार, महामारी रैकून कुत्तों से शुरू हो सकती है, जिसने चीन के वुहान हुआनान सीफूड होलसेल मार्केट में लोगों को संक्रमित किया। रिपोर्ट के मुताबिक, जब विशेषज्ञों ने अपने चीनी समकक्षों के साथ विश्लेषण पर सहयोग करने की पेशकश की, तो टीम अंतिम निष्कर्ष तक नहीं पहुंच पाई, क्योंकि वैज्ञानिक डेटाबेस से जीन सीक्वेंस हटा दिए गए थे।
WHO के निदेशक डॉ टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा कि चीन को तीन वर्ष पूर्व गायब किए गए सबूत को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ शेयर करना चाहिए, क्योंकि यह अत्यंत आवशयक है कि विश्व के सामने सच आए। उन्होंने कहा कि रिसर्च से पता चला है कि कोरोना वायरस के फैलने के पीछे वजह, लोमड़ी जैसा दिखने वाला जानवर रैकून है, क्योंकि वायरस का DNA रैकून के DNA से मेल खा रहा है। यही वायरस चीन के वुहान सीफूड मार्केट में पाया गया था।
कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक, रिसर्च से पता चलता है कि जानवर संक्रमित हो सकते हैं और हो सकता है कि उन्होंने वायरस को इंसानों तक पहुंचाया हो। इस बीच, एक फ्रांसीसी जीवविज्ञानी ने पिछले सप्ताह डेटाबेस में अनुवांशिक अनुक्रमों की खोज की और उनकी टीम ने महामारी की उत्पत्ति के बारे में सुराग के लिए रिसर्च आरंभ किया।