सरकार के करोड़ों रूपये, पानी में बह रहे है .
और यहाँ मच्छर लोगो को, रोजगार दे रहे है .
इनके नाम और साइज पर मत जाओ, ये बड़े प्रोजक्ट पर काम कर रहे है .
इन्ही की बदौलत कई लोग, करोड़पति बन रहे है .
जिसमे इनका ना कोई स्वार्थ, ना अहंकार छिपा है .
होता तो वही है, जो भाग्य में लिखा है .
मच्छरों की दया तो देखो, कितना नेक काम कर रहे है .
कई अस्पताल खुल गए है, और कई बन रहे है .
यहाँ काम करते लोगो का, मच्छर एक सहारा है .
फैला है इनसे मलेरिया, यह तो एक बहाना है .
कितनी कंपनियां बना रही है, मच्छर मारने की दवा .
लगे है लाखो लोग यहाँ, जो करते है मच्छरों से दुआ .
मच्छर ना होते तो , ये लोग कहा जाते .
अपनी बेरोजगारी का, हाल किसे सुनाते .
फिर भी समाज सेवा, समाज को रास नहीं आ रही है .
मच्छर के काटने पर, मीठी खुजली भी नहीं भा रही है .
आज के इस प्रगतिशील युग में, मच्छर कितने जरुरी है .
काट रहे है तुमको, पर कुछ उनकी भी मज़बूरी है .
बेरोजगारी के ज़माने में, मच्छर से कोई तो रोजगार पायेगा .
फिर भी क्या नाम उनका कभी, समाज सेवा में आएगा ?
मच्छर कहता है कि ......
हमारे पास नहीं है मकान, नाली में पड़े रहते है .
लड़ना तो दूर की बात है, किसी से तू तक नहीं कहते है .
ना भ्रष्टाचार ना अनशन, ना आंदोलन करते है .
हर रोज हम मच्छर, लाखो लोगो का पेट भरते है .
फिर भी यह इंसान ना जाने क्यों, हमसे दुश्मनी निभा रहा है .
हमको छोड़ ये मच्छरमार, आल आउट का गुण गा रहा है .
हम तो काटते है, फिर भी मजा दे जाते है .
पर भला हमको मारने में, तुमको क्या मजे आते है .
तुमने छिडकया डीडीटी, खाकर हो गए हम और मोटे .
हम मरेंगे नहीं ऐसे, कर्म हमारे नहीं खोटे .
दे दे कर हम रोजगार, लोगो के दिल में जगह बनायेंगे .
आने वाले समय में, हम सरकार चलाएंगे .
अंगूठे पर टिकी है पूरी दुनिया, अगर अंगूठा ना होता तो क्या होता ?????