एक कार कीमत 70 मिलियन डॉलर (करीब 455 करोड़ रुपये). जी हां फेरारी की एक कार ने नीलामी में सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है. Ferrari 250 GTO जो 1963 में बनी अब दुनिया की सबसे महंगी कार बन गई है. हॉली ग्रेल मॉडल के नाम भी प्रसिद्ध इस कार ने 1964 में दुनिया की सबसे प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मोटर रेस में से एक टूर-दी-फ्रांस को जीता था. इस कार को इतनी ऊंची कीमत पर एक अमेरिकी नागरिक जो नायाब चीजों का कलेक्शन का शौकीन भी है ने ख़रीदा है. फेरारी हिस्टोरियन मार्सेल मासिनी ने इस कार को दुनिया की तीन या चार सबसे बेहतरीन GTO बताया है.
मासिनी ने इस बात की पुष्टि की है कि इस कार को एक अमेरिकी बिजनेसमैन ने खरीदा है. मासिनी ने यह भी कहा है कि उन्हें इस बात का पूरा भरोसा है कि पांच साल के भीतर GTO 100 मिलियन डॉलर में बिकेगी. 1990 के दशक में हर्टफोर्डशायर की DK इंजीनियरिंग ने GTO को दुरुस्त किया था. हालांकि, यह ब्लूचिप कार स्पेशलिस्ट 70 मिलियन डॉलर की इस डील में शामिल नहीं थी. वही DK इंजीनियरिंग में व्हीकल एक्विजिशन के स्पेशलिस्ट जेम्स कॉटिंगहम का कहना है, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि इतिहास और अपने अनोखे फीचर्स के मामले में यह बेस्ट 250 GTO में से एक है.' फेरारी ने 250GTO में 3 लीटर V12 इंजन है, जिसने कि 300bhp से ज्यादा का पावर दिया है. यह कार 6.1 सेकेंड में 0-60 mph की रफ्तार पकड़ लेती है.
कार के बारे में और भी-
174mph है इसकी टॉप स्पीड
इससे पहले, एक फेरारी 250 GTO करीब 38 मिलियन डॉलर में बिकी थी.
70 मिलियन डॉलर (करीब 455 करोड़ रुपये) में बिकने वाली Ferrari 250 GTO 1962-1964 के बीच बनी 36 कारों में से एक है.
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