बमबारी से भरी झटके और नुकसान झेलना पड़ता है, ये कह सकते हैं दुनिया ही नष्ट हो जाती है. ऐसे आपने अब तक भूकंप के झटके सुने होंगे लेकिन जहां पर भूकंप आया है वहां आपने महसूस नहीं किया होगा. लेकिन यहां हम भूकंप की नहीं बल्कि विश्वयुद्ध की बात कर रहे हैं. जी हाँ, आप सोच रहे हैं विश्व युद्ध के बारे में ऐसा क्या है जिसे हम आपको बताने जा रहे हैं जो बेहद ही खतरनाक है और आप नहीं जानते होंगे.
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जानकारी के लिए बता दें, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मित्र राष्ट्रों ने भारी बमबारी की थी जिसने सब कुछ तबाह कर दिया था. ये तबाही न सिर्फ जमीन पर हुई थी बल्कि इसके झटके पृथ्वी के वायुमंडल से होकर अंतरिक्ष के छोर पर भी महसूस किए गए थे. इस बारे में ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ रीडिंग के शोधार्थियों ने खुलासा किया है कि मित्र राष्ट्र की सेनाओं ने जो यूरोपीय शहरों पर गिराए थे वह बम जे झटके इतने ज्यादा जोरदार थे कि आयनमंडल कमजोर पड़ गया. ये हैरानी भरी बात है कि किस तरह इस बम विस्फोट के झटके वायुमंडल तक पहुँच गए. बता दें, हर विस्फोट के साथ कम से कम 300 वज्रपातों की ऊर्जा निकली थी.
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इस बमबारी के बारे में वैज्ञानिक ‘एनालेज जियोफिजिकाई' के ये बताते हैं कि अध्ययन में पाए गए तथ्यों का इस्तेमाल इस तरह किया जा रहा है जिससे ये पता लगाया जा सके कि पृथ्वी पर वज्रपात, ज्वालामुखी विस्फोट और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं किस तरह आती है और साथ ही इसके ऊपरी वायुमंडल को कैसे प्रभावित करती है. विश्वविद्यालय के प्रोफेसर क्रिस स्कॉट ने जानकारी में बताया कि पृथ्वी के वायुमंडल में इन बम विस्फोटों का क्या असर पड़ा है इस बारे में अब तक पता नहीं चला था.
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