देवों के देव महादेव को साड़ी सृष्टि का जनक माना जाता है, क्योंकि उनका ना तो आदि है न ही अंत. इसीलिए उनका पूजन कभी भी और कहीं भी किया जा सकता है. लेकिन फिर भी माना जाता है कि, हर माह के कृष्ण व शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि परमेश्वर शिव को समर्पित है और आज सोमवार दि. 29.01.18 माघ शुक्ल त्रयोदशी के उपलक्ष्य में सोम प्रदोष पर्व मनाया जाएगा.
त्रयोदशी सभी दोषों का शमन करतीं है इसीलिए इसे प्रदोष भी कहते हैं और सूर्यास्त के बाद रात्रि के आने से पूर्व का समय प्रदोष काल कहलता है. मान्यता है कि प्रदोष को प्रदोष काल के समय भगवन शिव आनंदकारी नृत्य करते है और देवता गैन उनका स्तवन करते हैं. एक बार खुद महादेव ने ही अपनी अर्धांगिनी और जगत माता sati को प्रदोष का महत्त्व बताते हुए कहा था कि, कलियुग में धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पाने के लिए प्रदोष ही सबसे सुगम मार्ग होगा.
इसीलिए इस दिन प्रदोष काल में शिव पूजन का विधान बनाया गया है, जिससे मनुष्य के समस्त दोषों का शमन हो जाता है. वैसे तो भोलेनाथ एक मात्र बिल्वपत्र या धतूरे से भी प्रसन्न हो जाते है और अगर वो भी ना हो तो केवल भक्ति ही काफी है. लेकिन फिर भी इस दिन मनुष्य को अपने सामर्थ्य अनुसार पूजन कर गरीबों को भोजन देने का विधान शास्त्रों में बताया गया है.
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