हिन्दू धर्म में प्रत्येक वर्ष वैशाख माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। इस दिन श्रीहरि विष्णु के नरसिंह अवतार की पूजा-उपासना की जाती है तथा व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि जगत के पालनहार प्रभु श्री विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद को राक्षस हिरण्यकश्यप से बचाने के नरसिंह का अवतार लिया था। नरसिंह चतुर्दशी के दिन व्रत एवं पूजन करने से समस्त दुखों से छुटकारा प्राप्त होता है तथा जीवन में खुशहाली आती है। दृक पंचांग के मुताबिक, इस वर्ष 21 मई को बेहद शुभ संयोगों में नरसिंह जयंती मनाई जाएगी। आइए आपको बताते हैं नरसिंह जयंती की पूजा विधि...
पूजाविधि :
नरसिंय जयंती के दिन सायंकाल के वक़्त पूजा का विधान है।
इस दिन पूजा से पहले स्नानादि के पश्चात् स्वच्छ कपड़ें धारण करें।
पूजास्थल पर एक छोटी चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
अब भगवान नरसिंह, मां लक्ष्मी एवं विष्णुजी की प्रतिमा स्थापित करें।
पूर्व दिशा में मुख करके पूजा आरंभ करें।
भगवान नरसिंह के समक्ष दीपक प्रज्ज्वलित करें।
अब उन्हें फल, फूल, पंचामृत, धूप, दीप एवं नेवैद्य अर्पित करें।
इसके बाद विधिवत पूजा करें तथा मंत्रों का जाप करें।
आखिर में नरसिंह भगवान समेत सभी देवी-देवताओं की आरती उतारें।
नरसिंह भगवान की आरती:-
ॐ जय नरसिंह हरे,
प्रभु जय नरसिंह हरे ।
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे,
जनका ताप हरे ॥
ॐ जय नरसिंह हरे ॥
तुम हो दिन दयाला,
भक्तन हितकारी,
प्रभु भक्तन हितकारी ।
अद्भुत रूप बनाकर,
अद्भुत रूप बनाकर,
प्रकटे भय हारी ॥
ॐ जय नरसिंह हरे ॥
सबके ह्रदय विदारण,
दुस्यु जियो मारी,
प्रभु दुस्यु जियो मारी ।
दास जान आपनायो,
दास जान आपनायो,
जनपर कृपा करी ॥
ॐ जय नरसिंह हरे ॥
ब्रह्मा करत आरती,
माला पहिनावे,
प्रभु माला पहिनावे ।
शिवजी जय जय कहकर,
पुष्पन बरसावे ॥
ॐ जय नरसिंह हरे ॥
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