इंदौर। देशभर में सुबह और दिन के समय महानवमी का पूजन होने के बाद अब श्रद्धालु विजयादशमी की तैयारियों में लगे हैं। विजयादशमी जो कि बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक स्वरूप मनाया जाता है। यह दिन विशेषतौर पर प्राचीन काल के अनुसार वर्णाश्रम व्यवस्था में बॅंटे क्षत्रिय वर्ग द्वारा जोर - शोर से मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालुओं द्वारा विशेष पूजन किया जाता है और ईश्वर से मंगलकामना के साथ शुभकार्यों में जीत का वरदान मांगा जाता है।
अधिकांश श्रद्धालु इस दिन शस्त्र - शास्त्र और विद्या का पूजन करते हैं। विधान के अनुसार एक साफ और शुद्ध कागज़ पर देवी माॅं सरस्वती का विशेषतौर पर अंकन किया जाता है, इसके साथ श्रद्धालु कुछ पुस्तकें, काॅपियाॅं रखते हैं। इन पुस्तकों का विधिवत पूजन किया जाता है। पुस्तकों पर गंध, कुमकुम, अक्षत, पुष्प आदि समर्पित किए जाते हैं।
इन पुस्तकों के साथ घरों में उपयोग में आने वाले सुई - धागे, कैंची, चाकू, तलवार, कृपाण, कटार और अन्य महत्वपूर्ण औजारों व शस्त्रों का पूजन किया जाता है। इन शस्त्रों व औजारों को स्वच्छ कर इन पर कुमकुम, अक्षत आदि समर्पित किया जाता है। भगवान से हाथ जोड़कर ऐश्वर्य, समृद्धि और शक्ति का आशीर्वाद लिया जाता है। इस दिन श्रद्धालु अपने वाहनों की सफाई कर उनका पूजन भी करते हैं। विजयादशमी के अवसर पर श्रीखंड का भोग लगाने का विधान भी है।
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