नई दिल्ली: दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार भले ही 28 दिसंबर 2013 से लगातार यमुना नदी के पानी को नहाने लायक साफ करने का वादा कर रही हो, मगर पर्यावरण विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते पांच वर्षों में 2017 के बाद नदी में प्रदूषण का स्तर घटने के बाद और अधिक बढ़ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, पल्ला को छोड़कर, राष्ट्रीय राजधानी में हर जगह पर परीक्षण के लिए एकत्र किए गए पानी के सैंपल में जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) का वार्षिक औसत स्तर बढ़ गया है। BOD पानी की गुणवत्ता मापने के लिए एक अहम मानक है। यदि BOD का स्तर 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम हो, तो उसे अच्छा स्तर माना जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति, पल्ला, वजीराबाद, ISBT पुल, ITO पुल, निजामुद्दीन पुल, ओखला बैराज और असगरपुर में यमुना नदी के पानी के सैंपल एकत्र करती है। यमुना नदी पल्ला में ही दिल्ली में दाखिल होती है। समिति के आंकड़ों से पता चलता है कि विगत पांच वर्षों में पल्ला में वार्षिक औसत BOD स्तर में खास बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन यह वजीराबाद में लगभग 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से बढ़कर 9 मिलीग्राम प्रति लीटर हो चुका है। ISBT पुल पर BOD स्तर करीब 30 मिलीग्राम प्रति लीटर से बढ़कर 50 मिलीग्राम प्रति लीटर और ITO पुल पर 22 से 55 मिलीग्राम प्रति लीटर हो गया है।
बता दें कि, अगर BOD 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है और घुलित ऑक्सीजन (DO) की मात्रा 5 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा है, तो यमुना नदी के पानी को स्नान के लिए सही माना जा सकता है।
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